सूफ़ी संत मोहम्मद ग़ोस की दरगाह के निकट हरे बाग वाले परिसर में दूर प्रतिष्ठित संगीतकार तानसेन का एक छोटा एवं साधारण मकबरा स्थित है। मुग़ल बादशाह अकबर के नौ रत्नों में से एक, तानसेन (1500-1586) भारत के महान संगीतकारों में से एक थे। संगीत में रुचि रखने वालों एवं इतिहास से प्रभावित लोगों के लिए यह मकबरा दिलचस्पी भरा स्थान रहा है। ऐसा कहा जाता है कि यह गायक अपनी गायकी से जादू उत्पन्न कर देते थे, जैसा कि वह बादलों को वर्षा करने के लिए प्रलोभन देते तथा यहां तक कि पशुओं को भी मोहित कर देते थे। तानसेन ने मोहम्मद ग़ोस से भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी और संगीत की ग्वालियर घराना शैली विकसित की थी। वह संगीत की ध्रुपद शैली के प्रस्तावक भी थे, जो मनोरंजन के लिए नहीं अपितु श्रोता को शांति एवं चिंतन के मूड के लिए प्रेरित करता है। हर वर्ष नवम्बर में विश्व-विख्यात तानसेन संगीत महोत्सव इसी मकबरे में आयोजित किया जाता है। 

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