ग्वालियर से 46 किलोमीटर दूर मुरैना ही वह जगह है, जहां पर भारत में सबसे अधिक मोर पाए जाते हैं। मुरैना का नाम उस पक्षी के नाम पर पड़ा, जिसे हिंदी में ‘मोर’ कहते हैं। यहां का मुख्य आकर्षण सबलगढ़ किला है, जो एक विशाल चट्टान पर बनी दुर्जेय संरचना है। इसका निर्माण 17वीं सदी में गुर्जर सरदार सबल सिंह द्वारा करवाया गया था, जो करौली के शासकों के दरबार में कुलीन थे। वर्तमान में यह किला खंडहर बन चुका है और माना जाता है कि यह प्रेतवाधित है। मोरेना के पश्चिम में लगभग 35 किलोमीटर दूर सेरसैनी किला स्थित है, जो देखने लायक जगह है। इसी के साथ चम्बल नदी के किनारे पर बना सती माता मंदिर भी है। पर्यटक गन्ना बेगम का मकबरा देखने भी जा सकते हैं। मीनारों वाला यह मकबरा सांक नदी पर बने सुंदर व प्राचीन सेतु के निकट स्थित है। किंवदंती के अनुसार, इस मकबरे का निर्माण 1775 ईस्वी में गाज़ीउद्दीन की विधवा की याद में बनवाया गया था जो सराय के वज़ीर थे। उसका नाम गन्ना इसलिए पड़ा क्योंकि उसकी आवाज़ गन्ने की भांति मीठी थी। मुरैना गज़क के लिए प्रसिद्ध है, तिल एवं गुड़ से बनी ये पारंपरिक रूप से सर्दियों में खाई जाती हैं। 

अन्य आकर्षण