पुदुचेरी (सन् 2006 में इसका आधिकारिक नाम, पॉन्डिचेरी से बदल कर पुदुचेरी कर दिया गया) न केवल आपको मोहित करता है, बल्कि इसकी अपनी औपनिवेशिक संरचनाएं, समुद्री तट पर सैर, आध्यात्मिक आश्रय, पंक्तिबद्ध पेड़ों से आच्छादित मार्ग, अज्ञात और प्राचीन रेत तट, मोहक अप्रवाहित शांत जल, आपको अपने प्यार में बांध लेती हैं। यह शहर कपड़ा, रेशम और पारंपरिक गुड़िया बनाने के उद्योग के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाले मिट्टी के बर्तनों, हस्तनिर्मित कागज, चमड़े और सुगंधित वस्तुओं के लिए भी जाना जाता है। और हां, इस शहर से फ्रांस का संबंध, कभी न भूलाया जाने वाला है।
यहां फ्रेंच भाषा अभी भी काफी लोकप्रिय है और यह भाषा, जीवन के सभी क्षेत्रों के स्थानीय निवासियों द्वारा बोली और समझी जाती है। श्री अरबिंदो इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एजुकेशन, लीसे फ्रॉंसे, आलयांस फ्रॉंसेज़ और अन्य विभिन्न स्कूलों में शिक्षा का माध्यम फ्रेंच भाषा हैं, और वहां भारतीय भाषाओं को दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है। इसके बजाय, यहां सभी फ्रांसिसी चीजों की सर्वव्यापी मौजूदगी के चलते, पुदुचेरी को "ला कोत दॉ'ज़्रयूर द'लेस्त" के रूप में भी जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अनुवाद "पूर्व का फ्रेंच रिवेरा" है।
सप्ताहांत की छुट्टी में, या छुट्टियों के मौसम के दौरान, मुख्यत: चेन्नई और बेंगलुरु से पर्यटकों की एक बड़ी भीड़ पुदुचेरी, जिसे आम बोलचाल की भाषा में 'पोंडी' कहा जाता है, की तरफ आती है। अपनी लगातार बढ़ती प्रसिद्धि को देखते हुए, पुदुचेरी के निवासी अब कई ऐसी सेवाओं में लगे हुए हैं, जो पर्यटकों को सुविधा प्रदान करते हैं, जिसमें विशेष रूप से वाटर स्पोर्ट्स, बहु-व्यंजन वाले रेस्तरां, मयखाने, स्मारिका की दुकानों आदि हैं।

इस शहर का इतिहास काफी लंबा और रंग-बिरंगा है। पुदुचेरी में कुछ विरासत संरचनाएं अठारहवीं शताब्दी के उस समय की हैं जब यह नगर फ्रांसीसी उपनिवेश था। जब आप इस शहर के पुराने इलाके की सैर करते हैं तो फ्रांसीसी संबंध स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, मुख्यतः इसकी इमारतों से जो एक मजबूत फ्रांसीसी वास्तुकला के प्रभावों को दर्शाती है।
हालांकि यहां के रेत तटों पर, गोवा की तरह का आकर्षण नहीं है, पर इस शहर की अपील आध्यात्मिक है, एक भोगी के लिये नहीं। पुदुचेरी में कुछ अक्षत, प्राचीन और नीरव रेत तट हैं जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मनोरम दृश्य प्रस्तुत करते हैं। और तो और, यह अनेक वाटर स्पोर्ट्स जैसे कयाकिंग, कनुइंग और तैराकी की मेजबानी करता है।
उन लोगों के लिए जो प्रकृति के साथ समय बिताना पसंद करते हैं, पुदुचेरी एक गुप्त खजाने की तरह है। जबकि शहर अपने आप में हरा भरा रहता है, आश्रम के शिष्यों और नागरिकों के समान प्रयासों से, यहां कई ऐसे नामित क्षेत्र हैं, जहां कोई भी विश्राम कर अपने को तरोताजा कर सकता है।
समृद्ध इतिहास, रेत तट, और आध्यात्मिक ज्योति, पुदुचेरी में यह सब है। लेकिन एक चीज जो पर्यटक को यहां से लौट जाने से रोकती है, वह है यहां का व्यंजन। पुदुचेरी के व्यंजन, दक्षिण भारत के मसालों और फ्रांस की पाक संवेदनाओं का एक विचित्र सम्मिश्रण है, जिसमें इतालवी स्वाद का एक उदार खुराक भी शामिल है। शहर में सैकड़ों रेस्तरां हैं, जिनमें गर्म 'बन' बेचनेवाली चाय की दुकानों से लेकर लक्ज़री होटल तक हैं, जो मेहमानों का स्वागत अपने लजीज व्यंजनों से करते हैं।
घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों की शुरुआत के बाद, अक्टूबर से फरवरी महीने तक है, जब यहां तापमान कम रहता है, और तटीय हवाएं ठंडी रहती हैं। ऐसे मौसम में पुदुचेरी की फ्रांसीसी सड़कों पर घूमना, परम आनंददायक लगता है।