छत्तीसगढ़, भारत का 10वां सबसे बड़ा राज्य समृद्ध संस्कृति, विरासत एवं आकर्षक प्राकृतिक विविधता से सम्पन्न है। दस हज़ार वर्षों पुरानी सभ्यता के साथ भारत के केंद्र में स्थित यह ‘आष्चर्यों से भरा’ राज्य उन पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है, जो प्राचीनता का अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ एक विषिष्ट भारतीय अनुभव प्रदान करता है। देष के सबसे विस्तृत झरने, गुफ़ाएं, हरे-भरे जंगल, प्राचीन स्मारक, दुर्लभ वन्यजीव, उत्कृष्ट नक्काषीदार मंदिर, बौद्ध स्थल और पहाड़ी पठार इस राज्य में विद्यमान हैं। छत्तीसगढ़ में 80 प्रतिषत से अधिक जैव विविधता पाई जाती है, जो पूरे देष में कहीं भी नहीं पाई जाती है। 32 प्रतिषत जनजातीय आबादी के साथ इस राज्य का 44 प्रतिषत हिस्सा वनों से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है, जो अद्वितीय आदिवासी कला, षिल्प और परंपराओं की खोज करना चाहते हैं। सदियों से इसके आदिवासी समुदायों ने पर्यावरण की अनुकूल प्रथाओं के माध्यम से प्राकृतिक आवास को पोषित एवं संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई है। छत्तीसगढ़ में पर्यटकों को कला और वास्तुकला, विरासत, हस्तषिल्प, व्यंजन, मेले एवं त्योहार जैसा बहुत कुछ देखने को मिलता है। छत्तीसगढ़ का उल्लेख अनेक कथाओं में मिलता है, जिनमें भारत के दो महान महाग्रंथ रामायण एवं महाभारत भी षामिल हैं। भारत का सबसे चैड़ा झरना चित्रकूट भी इसी राज्य में है। मानसून में जब इंद्रावती नदी पूरे प्रवाह में होती है, तब बस्तर ज़िले में स्थित यह जलप्रपात 980 फुट चैड़ा हो जाता है। छत्तीसगढ़ में देवी-देवताओं और कई मंदिरों की विरासत है, पुराने एवं आधुनिक दोनों प्रकार के इन मंदिरों में सारे साल भक्तों, तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का तांता लगा रहता है। सिरपुर के बौद्ध स्थल पर हर साल होने वाला वार्षिक भव्य आयोजन ‘सिरपुर अंतरराष्ट्रीय नृत्य एवं संगीत महोत्सव’ विषेष रूप से उल्लेखनीय है। यह राज्य जीवन के आधुनिक एवं पारंपरिक तरीके का एक उत्सुकतापूर्ण मिश्रण प्रस्तुत करता है।