आकर्षक चारमीनार को अपने दिल में संजोये, तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद, अपने इतिहास, विभिन्न अनुभवों और स्वादिष्ट व्यजनों के मिश्रित सुगंधों से सराबोर, एक जीवंत शहर है। जहां एक तरफ, शहर के पुराने क्षेत्र जिसकी संकरी गलियों में अनेक प्रतिष्ठित स्मारक बिखरे पड़े हैं, वहीं दूसरी ओर इसके समकालीन क्षेत्र की गति, इसकी विश्वजनीय आबादी से कदम मिलाती है। हलचल भरे बाजार को ऊपर से देखता हुआ, चारमीनार का चार-तरफा मेहराब, शहर का केंद्र बिंदु है, जिसके चारों ओर यह शहर विकसित हुआ है। दक्कन पठार पर मुसी नदी के तट पर स्थित, हैदराबाद अपने विरासत के आकर्षण के साथ साथ, अपनी जीवंत पाक कला संस्कृति से आपको मोहित करता है। इसके इन आकर्षणों का श्रेय इसके पूर्व निजाम शासकों को जाता है।

यह शहर प्रसिद्ध और सुगंधित हैदराबादी बिरयानी का अड्डा है, जहां हलचल भरे खान-पान दुकानों के व्यंजन आपको तत्कालीन संतुष्टि तो दे देते हैं, लेकिन आप इन व्यंजनों से कभी भी तृप्त नहीं हो पाते हैं। तरोताजा कर देने वाली ईरानी चाय की चुस्कियां लेने से लेकर मसालेदार मिर्ची-का-सालन के चटकोरे लेने तक, हैदराबाद में भोजन करना केवल एक अनुभव ही नहीं, बल्कि लंबे समय तक याद रखने वाला एक यादगार लम्हा भी है। उत्तम गुणवत्ता वाले मोतियों के पारंपरिक कारोबार के चलते हैदराबाद को पर्ल सिटी भी कहा जाता है, विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भी यहीं की खान से निकला था। बगल के शहर सिकंदराबाद के साथ मिलकर हैदराबाद, एक जुड़वां शहर बन गया है, और इन दोनो शहरों को बांटता है, अति विस्तृत प्रसिद्ध हुसैन सागर झील।

इस शहर की स्थापना 16वीं शताब्दी में मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने की थी। मुगलों ने सन् 1685 में इस पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया, और बाद में ब्रिटिश राज का भी इस पर हस्तक्षेप रहा। सन् 1724 में, दक्कन के मुगल वायसराय, आसफ जाह निजाम अल-मुल्क ने अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया। इसके बाद, अपनी राजधानी हैदराबाद सहित यह दक्कन राज्य, हैदराबाद की रियासत कहा जाने लगा। जब कि हैदराबाद शहर का विस्तार लगातार जारी रहा, इसका जुड़वां शहर, सिकंदराबाद एक ब्रिटिश छावनी के रूप में विकसित हुआ। सन् 1950 में हैदराबाद रियासत, भारतीय गणराज्य का एक हिस्सा बन गया।

आज हैदराबाद व्यापार, वाणिज्य और प्रौद्योगिकी का एक सुसंपन्न केंद्र है। कई प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों ने अपने कार्यालयों को यहां स्थापित किया है, जिसमें नौकरी करने के लिये पूरे भारत से लगातार लोग यहां आ रहे है। और जिसके परिणामस्वरूप यहां एक महानगरीय संस्कृति पनप गई है। यहां अब अनेक नए शानदार होटल, पॉश रेस्तरां और प्रीमियम शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बन गये हैं। नई संस्कृति के ये प्रतिरूप, इसके पारंपरिक शाही व्यंजनों, ऐतिहासिक स्मारकों, स्वदेशी कला, और समृद्ध इतिहास के साथ मिलकर, इस महानगर को अपना एक विशिष्ट महानगरीय चरित्र प्रदान करते हैं।