झारखंड को भगवान ने प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर का वरदान देने में बड़ी उदारता बरती है। यह राज्य अतीत के वैभव और वर्तमान के सौंदर्य का कैलाइडोस्कोप है। घने जंगल, चित्ताकर्षक वन्य जीवन, लुभावने झरने, सुंदर हस्तकलाएँ, दुस्साहसिक पर्यटन, पसरे हुए जल निकाय, मन को मोह लेने वाला शास्त्रीय और लोक संगीत और नृत्य और शान्तिप्रिय और अतिथियों का सत्कार करने वाले लोगों का यह राज्य एक दिलचस्प स्थान है। झारखंड राज्य को जैव विविधता, आधुनिक मौसम, सम्पन्न संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का अपरिमित वरदान मिला है। धार्मिक पूजा स्थल और जातीय पहलू इस राज्य को पर्यटकों के लिए बिलकुल सही पर्यटन स्थल बनाते हैं।

इस आदिकालीन धरती की प्रचुर वन सम्पदा, नदियाँ और झरने कई जीवों और वनस्पतियों का घर हैं। इस चमत्कारी धरती के मुख्य निवासी यहाँ की युगों पुरानी जनजातियाँ हैं। यह राज्य उद्योग, व्यवसाय और शिक्षा का भी केंद्र है। यहाँ की धरती में खनिजों का एक खजाना छुपा हुआ है, देश की 40 प्रतिशत खनिज सम्पदा यहाँ पर निर्भर है और कोयले, माइका और लौह उत्पादन में इस राज्य का प्रथम स्थान है, जो झारखंड को प्रकृतिक सम्पदा की दृष्टि से सब से ज़्यादा सम्पन्न राज्य बनाता है। सिर्फ घने जंगल ही नहीं बल्कि बड़े बड़े पानी के स्रोत, झरने और बाँध भी इसे बेहतरीन पिकनिक स्थल बनाते हैं, जहाँ प्रकृति की गोद में शांति से दिन गुज़ारा जा सकता है। सुनहरा सूरज, कल कल बहता पानी, बाँधों के रूप में मानव निर्मित स्थापत्य के नमूने इसे पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण स्थान बनाते हैं। धार्मिक स्थल आपके मन में उम्मीद जगाते हैं। झारखंड में कई धार्मिक स्थल हैं जो पूरा साल श्रद्धालुओं की भीड़ से भरे रहते हैं। झारखंड राज्य की सरकार का अटल विश्वास है कि पर्यटन क्षेत्र के विकास से प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्ष तौर पर सिर्फ रोजगार के अवसर ही नहीं पैदा होते हैं, बल्कि इस से आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलता है। यह न केवल राज्य की समृद्ध पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रदर्शन को सुनिश्चित करता है बल्कि अन्य क्षेत्रों के विकास पर भी व्यापक प्रभाव डालता है। झारखंड का पर्यटन विभाग भारत में एक पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में राज्य की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए झारखंड में विशेष रूप से घरेलू और भीतर के पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करता है।