महाराष्ट्र की आत्मा महानगरी, चिन्तनशील, सहिष्णु तथा देदीप्यमान है। यहाँ पर मन्दिरों, किलों, प्राचीन स्मारकों तथा कला के विषय में जानकारी की पर्याप्त वस्तुएँ हैं जो यहाँ पूर्व से ही विद्यमान हैं। सह्याद्रि पर्वतमालाओं के पठारी क्षेत्र की प्रचुरता के कारण यहाँ के किलों ने राज्य के इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रत्येक किला किसी सैन्य विजय का स्मारक है और प्रत्येक किले से रणनीति, युद्ध कौशल, कूट युक्ति तथा योजना की गाथा प्रदर्शित होती है। इनमें से अधिकतर दक्कन क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी की वीरगाथाओं से सम्बद्ध हैं जो अपनी वीरता से भारतीय इतिहास के महानतम शासकों में से एक बन गये। महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई न केवल भारत की आर्थिक राजधानी है बल्कि यह भारत का प्रवेश द्वार भी है जो कि मूलत: पंथ निरपेक्ष और प्रगतिशील है। यहाँ विश्व के सबसे बड़े फिल्म उद्योग की भी स्थापना है जिसका कारोबार अनेक छोटे देशों की जीडीपी से भी अधिक है। मुम्बई के फिल्म उद्योग में प्रतिवर्ष भारी संख्या में लोग पहुँचते हैं जिससे इसमें वृद्धि की आशा की जाती है। महाराष्ट्र में अनेक राष्ट्रीय उद्यान हैं। इस राज्य में बाघ परियोजना 4 प्रमुख आकर्षण के क्षेत्र हैं जिनके नाम तडोबा-अंधारी, मेलघाट, सह्याद्रि तथा पेंच हैं। महाराष्ट्र के वनों तथा वन्य जन्तुओं का एक विशाल प्रतिशत पश्चिमी घाटों अथवा पश्चिमी महाराष्ट्र तथा पूर्वी विदर्भ में हैं। सह्याद्रि क्षेत्र में अनेक सुन्दर सुन्दर पहाड़ी स्थल हैं जो शीतल, सुन्दर हैं तथा तरोताजा करने वाले हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ये प्राय: किसी न किसी नगर के निकट हैं। महाराष्ट्र का अनुभव विविधतापूर्ण तथा समृद्ध है जिसमें मिश्रित संस्कृतियाँ एक-दूसरे से घुली-मिली हैं। यहाँ के त्यौहार आलस्य को सक्रियता में परिवर्तित कर देते हैं। पर्यटक यहाँ के मीलों तक फैले चाँदी के समान सफेद समुद्र तटों से निश्चित रूप से सम्मोहित हो जायेंगे जो कि पश्चिमी तटों तक व्याप्त हैं।एक सुखद यात्रा के लिए आपका स्वागत है जिसमें आपको इस देदीप्यमान और सुन्दर भूमि की झलक प्राप्त होगी।महाराष्ट्र में आपका स्वागत है। एक अछूती, निष्कलंक तथा असीमित भूमि।