यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया जा चुका महाराष्ट्र का महाबलेश्वर नामक शहर, पश्चिमी घाटों की खूबसूरत पहाड़ियों और घाटियों के परिवेश में छाए हुए औपनिवेशिक सम्मोहन से आबद्ध एक अति सुंदर स्थान है। 

'सह्याद्रि पहाड़ियों की रानी' के नाम से मशहूर महाबलेश्वर कई अद्भुत पहलुओं का संगम है। यहाँ सुंदर घाटी के सम्मोहक नज़ारों को प्रस्तुत करते रास्ते पर झोपड़ियों से आच्छादित संकरी गलियों के घेरे हैं; ऐसे कमाल के दोस्ताना दुकानदार हैं जो आपको यहाँ की प्राचीन कथाओं से रूबरू करवाते हैं; और फ़िज़ां में फैली है स्ट्रॉबेरी की खुशबू जो हर सांस में सुकून भर देती है। महाबलेश्वर का ज़बर्दस्त आकर्षण, इसके सुन्दर स्थलों के लुभावने दृश्य और हर दृश्य से जुड़ी दिलचस्प कहानियां, और इर्दगिर्द व्याप्त हरे-भरे पहाड़ी दृश्य सब मिल कर एक अनोखा सा विस्मयकारी जादू पैदा करते हैं।

पुणे से 120 किमी और मुंबई से 285 किमी की सहजतापूर्वक तय की जा सकने वाली दूरी पर स्थित महाबलेश्वर में पूरे साल भर एक सुखद जलवायु का आनंद व्याप्त रहता है। स्ट्रॉबेरी और शहतूत की खेती के लिए यह शहर दूर-दूर तक मशहूर है है। यहाँ कई छोटे और अद्भुत कैफे क्रीम के साथ स्वादिष्ट और ताज़ा स्ट्रॉबेरी परोसते हैं जो यहाँ लेने लायक एक आवश्यक अनुभव है। यह क्रीम हर दिन तैयार की जाती है, और रसीली लाल स्ट्रॉबेरी पूरे क्षेत्र में फैले हुए खेतों से बिल्कुल ताज़ा तोड़ी जाती हैं।
 
इस शहर के पुराने हिस्से में अभी भी इसकी पुरानी आभा यथावत बनी हुई है, और यहाँ बने प्रसिद्ध महादेव मंदिर में गाय की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि प्रसिद्ध कृष्णा नदी का स्रोत इस गाय का मुख ही है। इसके अलावा चार अन्य नदियाँ - कोयना, वेन्ना, सावित्री और गायत्री का मूल स्रोत भी इसी गाय के मुख को बताया जाता है, और बाद में यह चारों नदियाँ कृष्णा नदी में ही मिल जाती हैं। प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित है कि भगवान कृष्ण वास्तव में भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। यहाँ आपके लिए जानना दिलचस्प होगा कि वेन्ना और कोयना नदियों को क्रमशः भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा का जीवंत प्रतीक कहा जाता है, और भगवान विष्णु के साथ मिलकर यह तीनों देवता हिन्दू धर्म में अत्यधिक पूजनीय ‘त्रिदेव’ का निर्माण करते हैं। इन्हीं तीनों देवताओं को इस सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति, संरक्षण और विनाश के लौकिक दायित्वों का उत्तरदायी वर्णित किया गया है। और यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि महाबलेश्वर नाम का संस्कृत भाषा में शाब्दिक अर्थ ही ‘महान शक्ति से युक्त देवता’ है। सन 1829 में अस्तित्व में आए इस खूबसूरत शहर महाबलेश्वर को ब्रिटिश शासन काल के दौरान बम्बई प्रांत की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में मान्यता प्राप्त थी।