पंचगनी

महाबलेश्वर के निकट ही स्थित पंचगनी नामक पर्वतीय स्थल इस पूरे क्षेत्र के सबसे शानदार पर्यटक स्थलों में में से एक माना जाता है। आपके लिए जानना दिलचस्प होगा कि कृष्णा नदी द्वारा बनाई गई धोम बाँध झील के ठीक सम्मुख स्थित यह नगर सहयाद्रि पर्वत शृंखला की पाँच पहाड़ियों का मिलन बिंदु है, और इसी कारण इसे पंचगनी का नाम प्रदान किया गया। 

इन पांच पहाड़ियों के शीर्ष को आपस में एक सुन्दर पठार जोड़ता है। यह पूरे एशिया में स्थित दूसरा सबसे बड़ा ज्वालामुखी पठार है तथा बहुत समय पहले पृथ्वी की अंदरूनी भूगर्भीय प्लेटों के बीच दबाव पड़ने से इसका निर्माण हुआ था। अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए या पठार बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ आप पैराग्लाइडिंग का लाजवाब मज़ा ले सकते हैं, क्योंकि यहाँ ऊपर से दिखाई देते सुरम्य दृश्य इतने अद्भुत हैं कि भारत में बहुत ही कम अन्य जगहों पर आपको ऐसा अनुभव मिल सकता है। आप स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जानना चाहते हैं तो पंचगनी आपके लिए सर्वाधिक रोचक जगहों में से एक है और यहाँ पर उनसे बने जैम आपने एक बार खा लिए तो आप चटखारे लेते रह जाएँगे यह निश्चित है। आप यहाँ के खेतों में बैठ कर उनकी फसलों को देख सकते हैं, और साथ ही साथ निकट बने हुए कैफे और रेस्तरां से मिठाई, स्वादिष्ट पिज्जा, पास्ता और अन्य व्यंजनों का स्वाद लेते हुए ताजी हवा का आनंद भी ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप यहाँ से फलों से बने शर्बत, कैंडी और अन्य उत्पाद भी खरीद सकते हैं।

पंचगनी

आर्थर सीट

अगर आप जोर घाटी के सुंदर दृश्य का पूरा आनंद लेना चाहते हैं, तो आपको इस आदर्श स्थान पर अवश्य पहुँचना चाहिए। ब्रिटिश अधिकारी सर आर्थर मैलेट यहां घर बनाने वाले पहले व्यक्ति बताए जाते हैं। कहा जाता है कि इस इस स्थान पर बैठ कर वे अक्सर सावित्री नदी को देखा करते थे, और उसकी सुन्दरता की भूरि-भूरि प्रशंसा किया करते थे। इस स्थान को ‘क्वीन ऑफ द पॉइंट’ के नाम से जाना जाता है, हालाँकि मूल रूप से इसका नाम मढ़ी महल हुआ करता था। 1,470 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आर्थर सीट नामक इस जगह की सबसे आकर्षक और मनोरंजक विशेषता यहाँ मौजूद हवा का एक विशिष्ट दबाव है। क्या आप यक़ीन कर पाएँगे, कि इस विशिष्ट वायु दबाव के कारण बोतल जैसी हल्की वस्तुएँ हवा में तैरने लगती हैं!? वहीं इस आर्थर सीट के दक्षिणी भाग में वैसी ही ख़ूबसूरत दिखने वाली स्तरीकृत चट्टानें हैं, जैसी चट्टानें संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलोराडो में ग्रैंड कैनियन में पाई जाती हैं। यहाँ की ख़ूबसूरती का पूरा नज़ारा लेना हो तो कुछ ख़ास जगहों पर जाना हरगिज़ न भूलें, जिनके नाम इको पॉइंट, हंटर पॉइंट, टाइगर स्प्रिंग पॉइंट, विंडो पॉइंट और मालकॉम पॉइंट हैं।

आर्थर सीट

कास

कोई पहाड़ी पठार हो और वह पूरी तरह फूलों से लदा हुआ हो, तो उसे देखना ख़ुद में कैसा अद्भुत अनुभव होगा, इसका अनुमान तो आप कल्पना मात्र से ही कर सकते हैं। ऐसी ही एक जादुई जगह है जिसका नाम है कास। लाखों फूलों से लदे हुए के पठार के नाम से मशहूर इस स्थान को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है, और यहाँ फूलों की दुर्लभ स्थानिक प्रजातियाँ मौजूद हैं। बारिश के मौसम के दौरान यहाँ रंगों का जैसे एक उत्सव सा मनता हुआ दिखाई देता है। जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीनों के दौरान यहाँ का पूरा परिदृश्य ही एक कुशल कलाकार के कैनवास में तब्दील हो जाता है। आप यह सुन कर ही समझ सकते हैं यह जगह कितनी चमत्कारिक और सुन्दर होगी, कि हर कुछ समय बाद यहाँ फूलों की पुरानी प्रजातियाँ मुरझा जाती हैं, विभिन्न नई प्रजातियां खिल जाती हैं और ऐसा होने से हर 15-20 दिनों में इस पूरे पठार के रंग बिलकुल बदल जाते हैं! यहाँ फूलों और पौधों की 850 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, और वनस्पतियों की इतनी व्यापक विविधता के कारण यह जगह वनस्पति अध्ययन में उच्च स्तरीय शोध करने के लिए एक महत्वपूर्ण जगह बन चुकी है। यहाँ का एक अन्य आकर्षण सुंदर कास झील भी है, जहाँ से उर्मोडी नदी का का उद्गम होता है। एकदम शांतिपूर्ण और सुरम्य वातावरण के बीच स्थित यह झील यहाँ का एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। इसी के बिलकुल नज़दीक एक ख़ूबसूरत झरना भी स्थित है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है। 

लेकिन कास को जो चीज़ सबसे ज़्यादा ख़ास बनाती है, वह है इसके मैदानों के ज़र्रे-ज़र्रे को ढंकते खिले हुए फूल, जो एक बेहद सुन्दर कालीन का सा दृश्य रचते हैं। सुनहरे रंग के स्मिथिया जिन्हें मिक्की माउस के फूल भी कहा जाता है, सोनकी, गुलाबी रंग के लैवेंडर, बैंगनी रंग के बेलसम, सफ़ेद रंग के जेंड एरीकोकुलन और अपनी पंखुड़ियों पर सोने की धूल सी लिए पीच मुरदानिया, यह सब फूलों की वह लाजवाब प्रजातियाँ हैं जिनसे ढंका हुआ यह पूरा वनस्पतिय क्षेत्र आपको अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के मोहपाश में जकड़ लेता है। यहाँ आप कुछ अन्य दुर्लभ वनस्पतियाँ भी देख सकते हैं जिनमें प्रमुख हैं ‘सीता के आँसू’ नाम से जाना जाता सुन्दर यूट्रीकुलेरिया पौधा जिसमें छोटे-छोटे कीड़ों को फँसाने के लिए जड़ों के चारों ओर छोटे-छोटे पात्र से बने होते हैं, हरी-पीली हेबेनेरिया डिजिटा जैसे ऑर्किड्स, और एक लालटेन की तरह दिखता सेरोपेजिया जिसे कंदील खार्चुड़ी के नाम से भी जाना जाता है। 

कास

कनॉट पीक

महाबलेश्वर में स्थित दूसरी सबसे ऊंची चोटी कनॉट पीक का नाम ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया है, और इसके अलावा इसे माउंट ओलंपिया के नाम से भी जाना जाता है। इनके अलावा इस नगर में कई अन्य बेहतरीन दृश्य बिंदु भी मौजूद हैं जहाँ से आप बेहद खूबसूरत तस्वीरें अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं। इन दृश्य बिन्दुओं में मंकी प्वाइंट, कार्नेक पॉइंट, फ़ॉकलैंड पॉइंट, हेलेन पॉइंट, एलफिन्स्टन पॉइंट, मुंबई पॉइंट, मार्जोरी पॉइंट और बैबिंगटन पॉइंट शामिल हैं। यह चोटी नगर के बस स्टैंड से 5 किमी दूर और पुराने महाबलेश्वर से 3.5 किमी दूर स्थित है। यहाँ से आप वेन्ना झील और कृष्णा घाटी के साथ-साथ उत्तर में कमलगढ़, राजगढ़ और तोराना, दक्षिण में अजिंक्यतारा, पूर्व में पंचगनी और पसरानी घाट तथा पश्चिम में प्रतापगढ़ के उत्कृष्ट नज़ारे देख सकते हैं। और अगर आपको पैदल पहाड़ी यात्रा का शौक है, तब तो आपके कनॉट पीक और भी ख़ास हो जाती है क्योंकि यह पैदल यात्रियों की पसंदीदा चोटी है।

कनॉट पीक

विल्सन पॉइंट

यह दृश्य बिंदु महाबलेश्वर का सबसे ऊंचा स्थान है, और मूल रूप से इसका नाम सिंदोला पहाड़ी हुआ करता था। बाद में एकशाही मरीन अधिकारी सर लेस्ली विल्सन के नाम पर इसका नाम विल्सन पॉइंट रखा गया। समुद्र तल से 1,439 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस बिंदु को सनराइज पॉइंट भी कहा जाता है, और पूरे महाबलेश्वर में यह एकमात्र ऐसी अद्भुत जगह है जहाँ से सूर्य को उदय होते और अस्त होते, दोनों समय देखा जा सकता है। यहाँ तीन मीनारें स्थित हैं जहाँ से पोलो मैदान, पंचगनी पठार और लिंगमाला जलप्रपात को जाने वाले मार्ग, पुराने महाबलेश्वर, एल्फिंस्टन बिंदु और कनॉट शिखर बिंदु को एक साथ देखा जा सकता है।
 

विल्सन पॉइंट

केट पॉइंट

मूल रूप से ‘नेक खिंड' नाम से जाने जाते इस बिंदु का नाम कालान्तर में ‘केट पॉइंट’ रख दिया गया, और अगर आप महाबलेश्वर के सबसे मनमोहक दृश्यों का आनंद लेना चाहते हैं तो यहाँ ज़रूर आएँ। इसका नया नाम ब्रिटिश गवर्नर सर जॉन मैल्कम की बेटी केट के नाम पर रखा गया था। 1,290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दृश्य बिंदु शहर के मुख्य बाजार से लगभग 6.8 किमी दूर स्थित है। आप इस दृश्य बिंदु से धोम और बालकवाड़ी बाँधों के साथ ही कमलगढ़, पांडवगढ़ और मांडवियो की चोटियों को भी भलीभांति देख सकते हैं। इसके अलावा, इसके नज़दीक ही एक चट्टान में प्राकृतिक रूप से बना हुआ एक छेद भी मौजूद है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करता है। जानना दिलचस्प होगा कि इस दृश्य बिंदु को ‘नीडल होल पॉइंट’ या ‘सुई में हुए छेद वाले बिंदु’ के नाम से जाना जाता है।

केट पॉइंट

लॉडविक पॉइंट

लॉडविक पॉइंट महाबलेश्वर को एक विशेष रणनीतिक कोण से देखने के लिए नियत किया गया दृश्य बिंदु है, जिसे पहले सिडनी प्वाइंट के रूप में जाना जाता था। दरअसल यह जनरल लॉडविक को समर्पित एक स्मारक है, जो 1824 में इस पहाड़ी पर चढ़ने वाले पहले ब्रिटिश अधिकारी थे। उनके बेटे ने इस उपलब्धि के सम्मान में उन्हें एक 25 मीटर लंबा स्मृति स्तम्भ समर्पित किया, जिसके आधार पर संगमरमर से बनी हुई जनरल लॉडविक के सिर की आकृति स्थापित है। यह बिंदु समुद्र तल से 4,087 फीट ऊपर स्थित है, और यहाँ से आप प्रतापगढ़ किले के अद्भुत विहंगम दृश्य देख सकते हैं। इस पहाड़ी के अंतिम बिंदु को एलिफेंट हेड पॉइंट कहा जाता है, क्योंकि उसकी आकृति एक हाथी के सिर से मिलती-जुलती सी दिखाई देती है।

लॉडविक पॉइंट