सिक्किम हिमालय के पूर्वी भाग में स्थित है। 7,096 वर्ग किलोमीटर के भूभाग में फैले इस प्रदेश की समुद्र तल से ऊंचाई 300 मीटर से लेकर 8,586 मीटर तक है। प्रकृति ने इस सुरम्य पर्वतीय क्षेत्र पर बर्फीले रेगिस्तान, फूलों से आच्छादित अल्पाइन घास के मैदान,हरे भरे जंगल और पन्ने की तरह झिलमिलाती पर्वतीय झीलों के रूप में अपनी अपार कृपा बरसाई है। निश्चित रूप से इस आष्चर्यलोक की दैदीप्यमान मुकुटमणि है गगनचुंबी पर्वत श्रंखला कंचनजंगा जो समुद्र तल से 8,586 मीटर ऊंचाई पर है। यह दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत है और यह सिर्फ एक भौतिक संरचना नहीं है बल्कि यह संपूर्ण क्षेत्र के लिए एक अभिभावक की तरह है जो सौम्यता से न सिर्फ इस क्षेत्र की निगरानी करता है बल्कि इस क्षेत्र की शांति और समृद्धि को भी सुनिष्चित करता है। यहां प्रकृति की छटा जितनी मनमोहक है यहां के मौसम भी उतने ही दिलकश । यहां निचली घाटियों की तेज गर्मी से कुछ ही घंटों में उन ऊंचे इलाकों में पहुंचा जा सकता है जहां ऊबड-खाबड पहाडी ढलानों पर लगातार बर्फ गिरती रहती है। कुछ ही कदमों की दूरी पर इस तरह मौसम के बदलाव की इस विलक्षणता के कारण ही यह धरा अपने आप में मजबूत प्राकृतिक विरासत और समृद्धि की मेजबानी करती है। हिमआच्छादित गिरी शिखरों की श्रंखला, हरे-भरे जंगल, वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध घाटियां, कल्पनालोक की तरह सुंदर लगने वाले गांव, बुरुंश के फूल के मनोहारी उपवन,गर्म झरने,जल प्रपात, सदा नीरा धाराएं और तीस्ता तथा रंगित जैसी विशाल नदियां सिक्किम को एक जादुई, रहस्यमय और आष्चर्यलोक बनाने में योगदान देते हैं।प्रकृति की विविधता से तालमेल बनाए रखते हुए सिक्किम अपने अनेक समुदायों,धर्मों और जटिलता से बुनी हुई रंगीन संस्कृतियों के साथ जनसंख्यागत संरचनाओं में भी उतना ही समृद्ध है और इन सबको जोडने वाला एक बुनियादी कारण है गर्मजोशी , हर कहीं यहां के लोगों का पूरी गर्मजोशी से लोगों का स्वागत करना। “अतिथि देवो भव” के वास्तविक अर्थ को हम सिक्किम में स्पंदित होते हुए,गूंजते हुए,चरितार्थ होते हुए देख सकते हैं। विविधतापूर्ण परंपराएं,गीत,नृत्य,पारंपरिक परिधान,लोकगीत और किंवदंतियां इस राज्य के सांस्कृतिक फलक को मनोहारी रंगों से भर देती हैं। मंदिरों में घंटियों की गूंज और मठों में स्पंदित होती प्रार्थनाएं धार्मिकता का अनुभव कराती हैं और भावनाओं तथा आत्मा को तरोताजा कर आनंद से भर देती हैं। आइए और इस पवित्र भूमि में अपने आपको प्रबुद्ध,ऊर्जावान और आध्यात्मिकता से आलोकित अनुभव कीजिये।शांत झीलों,नीचे की ओर बहती नदियों और प्राचीन जलप्रपातों में प्रकृति यहां अपने संपूर्ण वैभव के साथ प्रकट होती है। पवित्र झीलें,जलप्रपात और गर्म पानी के झरने इस पर्वतीय भूदृष्य में बिखरे हुए हैं। 7,096 वर्ग किमी के छोटे से भूभाग में फैले सिक्किम के पास प्राकृतिक आवास और वन्य जीवन की शानदार विविधता है। नदी घाटियों से लेकर हरे-भरे जंगलों और अप्लपाइन घास के मैदानों और मानसून में खिलने वाले फूलों के इंद्रधनुष से लेकर बंजर हिमनद और ठंडे रेगिस्तान तक -- आगंतुकों के लिए यह अंतहीन मनमोहक और वैभवशाली परिदृष्य है जिसे देखकर वे चकित हो जाते हैं।