मेघालय प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। आप जहाँ भी जायेंगे आप यहाँ के सम्मोहक जल प्रपातों, हरे-भरे जंगलों, गहरी गुफाओं, चमत्कारी तथा सम्मोहनकारी संस्कृति एवं परम्परा से लेकर अतिथि प्रिय एवं सुहृद लोगों तक अनेक विशिष्ट आकर्षणों से अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकेंगे। यहाँ आइये और जीवन के आकर्षण तथा सम्मोहन का आनन्द उठाइए।सोहरा/चेरापूँजी : खासी की पहाड़ियाँ विशेष रूप से सोहरा (चेरापूँजी) के लिए प्रसिद्ध हैं जो भौगोलिक रूप से पृथ्वी का सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान है और साथ ही शिलांग भी भारत के सर्वाधिक सुन्दर पर्वतीय स्थलों में से एक है। वास्तव में मेघालय का केन्द्रीय भाग निर्मित करने वाली सम्पूर्ण खासी पहाड़ी शृंखला प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है।मावफलांग पवित्र ग्रोव (वन) : खासी पहाड़ियों की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक विशेषता यहाँ के पवित्र वन हैं जिन्हें परम्परागत धार्मिक मान्यता के रूप से प्राचीन समय से संरक्षित किया जाता है। इन सर्वाधिक प्रसिद्ध वनों में से एक पवित्र वन मावफलांग पवित्र वन है जो शिलांग से लगभग 25 किमी दूर है।मावल्यान्नॉंग गाँव : मावल्यान्नॉंग गाँव सबसे साफ-सुथरे गाँव के रूप में विशिष्ट है। यह शिलांग से लगभग 90 किमी दूर है और गाँव के सौन्दर्य के अतिरिक्त यहाँ इसके पड़ोस के गाँव रिवाई में जीवित जड़ सेतु (लिविंग रूट ब्रिज) जैसे रोचक दर्शनीय स्थल हैं।नोकरेक जैवमण्डल रिजर्व : नोकरेक जैवमण्डल में एक अत्यन्त दुर्लभ खट्‌टा फल पाया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में मेमांग नारंग या भावनाओं का संतरा कहा जाता है। मेमांग नारंग (साइट्रस इण्डिका) को विश्व के अन्य सभी खट्टे फलों की प्रजातियों में सर्वाधिक प्राचीन तथा खट्टे फलों का जनक माना जाता है।नर्टियांग एकाश्म : एकाश्म या एकाश्मिक चट्टानों का एक ही क्षेत्र में सबसे बड़ा संग्रह जयन्तिया पहाड़ियों में स्थित नर्टियांग में पाया जाता है। ये मैनहिर (सीधे खड़ी चट्टानों), ऊर्ध्वाधर स्थिति की सपाट चट्टानों से बने हैं। इन महापाषाण कालीन पत्थरों के संग्रह से 1500 ई. से 1835 ई. के बीच जयन्तिया के राजा के विश्वासपात्र लेफ्टीनेंट यू मार फैलिंगकी द्वारा सबसे ऊँचा स्तम्भ तैयार कराया गया था।