अपने शानदार अतीत तथा समृद्ध विरासत एवं संस्कृति के कारण नागालैण्ड पर्यटन के लिए विकसित होता जा रहा है। साहसिक तथा निडर लोगों के लिए नागालैण्ड ट्रैकिंगए पर्वतारोहणए जंगल कैम्पिंग के लिए आदर्श स्थान है और औषधीय वनस्पतियों की बहुलता वाले बहुमूल्य वृक्षों से भरपूर उपोष्ण कटिबन्धीय हरे.भरे वन में असीमित भ्रमण की सम्भावनाएं हैं। इन सबके अतिरिक्त पर्यटक बाँस के बड़े.बड़े गिलासों में स्थानीय मदिरा के साथ वास्तविक नृजातीय नागा संस्कृति तथा स्थानीय व्यंजनों का अनुभव कर सकते हैं जो यहाँ अत्यन्त लोकप्रिय हैं।

नागालैण्ड में यहाँ के पूर्वोत्तर के पड़ोसियों की तुलना में इस क्षेत्र में अनेक लाभ हैं। सबसे पहले तो नागालैण्ड में दशकों से पर्यटकों के आतिथ्य की परम्परा रही है। हॉर्नबिल त्यौहार के दौरान हाल के वर्षों में आंशिक रूप से आईएलपी हटाने के उपरान्त घरेलू पर्यटकों तथा यात्रियों को अब यात्रा की अनुमति नहीं लेनी पड़ती है ;जैसा कि उन्हें अन्य राज्यों में लेनी पड़ती हैद्ध और यहाँ सुरक्षा की स्थिति में भी पर्याप्त सुधार हुआ है।

इस क्षेत्र की स्थिति तथा जैव विविधता की बहुलता के कारण यह स्थान पर्यटन उद्योग के आकर्षण का केन्द्र हो गया है। चारों और फैली पहाड़ियाँए पर्वतए मैदान तथा पठार से सम्पन्न इस क्षेत्र में विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि तथा जैवविविधता के हॉटस्पॉट सहित अनेक सांस्कृतिक समूह और समुदाय निवास करते हैं जो विश्व भर के पर्यटकों को सरलता से आकर्षित करते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन अत्यन्त व्यस्तए अत्यधिक बहुरंगी तथा विशिष्ट है जो पर्यटकों को लुभा लेते हैं। यहाँ के दृश्य भी अत्यन्त आकर्षक हैं।

त्यौहार रू नागालैण्ड यहाँ निवास करने वाली अनेक जनजातियों की विविध बहु.नस्लीयता का सांस्कृतिक संगम है। प्रत्येक समुदाय अग्रेरियन कैलेण्डर के अनुसार विभिन्न त्यौहार मनाते हैं जिसके कारण नागालैण्ड स्वतरू त्यौहारों की भूमि बन गया है।

नागालैण्ड का हॉर्नबिल त्यौहार रू त्यौहारों का यह त्यौहार समस्त आदिवासी त्यौहारों के रंग तथा भव्य घटकों का सामूहिक त्यौहार है और यह सांस्कृतिक अनुभूतियों का अहसास करने के लिए नागा जीवन की झलक प्रदान करता है। वार्षिक हॉर्नबिल त्यौहार 1.10 दिसम्बर अर्थात 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसमें जाफू पर्वत के ढालू स्कन्धों की तलहटी में नागालैण्ड की सभी जनजातियाँ तथा उपजनजातियाँ एकत्र होती हैं जहाँ प्राचीन नागा गाँव किसामा स्थित है और यह त्यौहार यहीं मनाया जाता है।