यहाँ स्थित इस हनुमान मंदिर में भगवान हनुमान की एक दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है जहाँ उनका दाहिना हाथ थप्पड़ मारने की मुद्रा में ऊपर उठा हुआ है। दिलचस्प बात है कि यहाँ हनुमान जी के दोनों हाथों में कोई गदा या द्रोणागिरि पर्वत इत्यादि मौजूद नहीं है। इसके साथ ही हनुमान जी के अन्य मंदिरों के विपरीत जहां उनके मुख को केवल एक ही दिशा से देखा जा सकता है, इस मंदिर में ठीक सामने से उनका पूर्ण ललाट उनके भक्तों व श्रद्धालुओं को दृष्टिगोचर होता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु रामदास स्वामी ने करवाया था।
 
यह हनुमान मंदिर आकर में भले ही छोटा हो, लेकिन अंदर से यह अत्यधिक सुंदर है। भगवान हनुमान के भक्त यहां शांत वातावरण में ध्यान करने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। यदि आप यहाँ आना चाहें तो सुबह और शाम का समय यहाँ घूमने के लिए सबसे बेहतर होगा, क्योंकि खासकर गर्मियों में दोपहर के समय यहाँ का मौसम काफी गर्म हो सकता है।

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