अपने प्राचीन भव्य किलों, पौराणिक मंदिरों, शांत झीलों और खूबसूरत झरनों की सुंदरता लिये सतारा, एक ऐसा पर्यटन स्थल है, जहां सैलानी हरे-भरे वन्य जीव अभयारण्य और कास पठार के बीच जाकर र्स्वग का सा आनंद पाते हैं। यहां एक ऊंचे पहाड़ पर स्थित जिंक्यात्रा किला एक ओर किसी खामोश पहरेदार का सा आभास देता है, मानो सदियों से वह पूरे शहर की सुरक्षा कर रहा है। वहीं दूसरी ओर कास झील, का मनभावन दृश्य प्रकृति प्रेमियों को एक दूसरे ही लोक में ले जाता है। 

प्राचीन विरासतों और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध सतारा की भूमि किसी समय में मराठाओं की राजधानी हुआ करती थी। यहां स्थापित 200 ई.पू. के शिलालेखों से पता चलता है कि सतारा जिले में सबसे प्राचीन जगह करड है, जिसे करकड के नाम से भी जाना जाता था। बहुत से लोगों का यह विश्वास है कि सतारा जिले में स्थित वाई नामक जगह, दरअसल वह विराटनगरी है, जहां पांडवों ने अपने अज्ञातवास के 13 वर्ष व्यतीत किये थे। भीमा नदी और कृष्णा नदी की घाटियों में स्थित यह जिला अपनी विविधताओं भरी भौगोलिक संरचनाओं के लिए जाना जाता है। सतारा में जहां एक ओर सह्ाद्रि पर्वत श्रंृखला की आसमान छूती चोटियां और उच्च पठार पर्यटकों को रोमांचित करते हैं, वहीं फल्टन तहसील स्थित नीरा नदी की घाटी भी अपनी नयनाभिराम दृश्यों के चलते आकर्षित करती है। देखा जाए तो यहां आने वाले सभी पर्यटकों के लिए उनकी पसंद के हिसाब से बहुत सारे देखने योग्य स्थल हैं।