प्राचीन चम्बल नदी के किनारे स्थित धौलपुर पुरानी सभ्यताओं, शक्तिशाली राजवंशों एवं शोभायमान प्राकृतिक सुंदरता का भंडार है। धौलपुर पहले धवलगिरी कहलाता था, इसका इतिहास भगवान बुद्ध के समय से मिलता है। साथ ही, धौलपुर महान मौर्य साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। बाद में यह मुग़लों के शासन के अधीन भी आया। यह ग्वालियर से एक घंटे की दूरी पर राजस्थान में स्थित है। धौलपुर भारत की स्वतंत्रता से पहले धौलपुर रियासत की गद्दी हुआ करता था। वर्तमान में, यह विविध संस्कृति एवं ऐतिहासिक भव्यता वाला शहर है। यह क्षेत्र शेरगढ़ किले के लिए बहुत प्रसिद्ध है, जो शहर के बाहरी हिस्से में स्थित है। इस किले का विस्तार, मरम्मत एवं उपयोग सूरी साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह सूरी द्वारा 1540 ईस्वी में किया गया था। पत्थर के इस किले में अनेक महल, एक मंदिर, एक मकबरा तथा कुछ भवनों के अवशेष स्थित हैं। इस क्षेत्र में राष्ट्रीय चम्बल वन्यजीव अभयारण्य, श्री रामचंद मंदिर एवं रामनगर अभयारण्य भी है। धौलपुर में मिलने वाला लाल बलुआ पत्थर देशभर में प्रसिद्ध है तथा दिल्ली में बने लालकिले के निर्माण के लिए लोकप्रिय है। राष्ट्रीय चम्बल (घड़ियाल) वन्यजीव अभयारण्य में गंगा नदी में पाई जाने वाली दुर्लभ डॉल्फिन भी मिलती हैं।

अन्य आकर्षण