चम्बल नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने की दिशा में राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य बनाया गया था। यह राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य भी कहलाता है जो गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फिन, घड़ियाल (भारत में पाया जाने वाला एक प्रकार का मगरमच्छ), मगरमच्छ एवं साफ पानी के कछुओं के लिए प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश में यह अभयारण्य चम्बल नदी के 400 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसका आरंभ राजस्थान के कोटा बैराज से होता है। वर्ष 1979 में इसे राष्ट्रीय अभयारण्य घोषित किया गया था जो तीन राज्योंः मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में फैला हुआ है। कोई भी यहां पर पक्षियों की विविध प्रजातियां देख सकता है तथा अब तक प्रवासी एवं यहां रहने वाले पक्षियों की 290 से अधिक प्रजातियां की पहचान की जा चुकी हैं। इस अभयारण्य का मुख्य आकर्षण राजहंस हैं जो नवम्बर में यहां आते हैं और मई तक रहते हैं। अभयारण्य आने वाले पर्यटक मोटर बोट की सवारी के दौरान प्राकृतिक नज़ारों का आनंद ले सकते हैं। इसकी विशेष व्यवस्था मध्य प्रदेश के वन्य विभाग द्वारा कराई गई है। यह अभयारण्य ग्वालियर से 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 

अन्य आकर्षण