यह विशाल महल ग्वालियर किले में स्थित है, इस गूजरी महल का निर्माण राजा मानसिंह द्वारा 15वीं सदी में कराया गया था। राजा ने अपनी पसंदीदा गूजर रानी मृगनयनी के लिए प्रेम के स्मारक के रूप में यह महल बनवाया था, जो दूध बेचने वाले की पुत्री थी। दंतकथा के अनुसार राजा जब शिकार पर गए थे तब उन्हें हिरणी जैसी नयनों वाली युवती मृगनयनी से प्रेम हो गया था। वह राजा से इस शर्त पर विवाह के लिए सहमत हो गई थी कि राजा उसके लिए एक महल बनवाएगा जिसमें राई नदी से निरंतर पानी की आपूर्ति होगी। यद्यपि महल की बाहरी संरचना बरकरार है, उसके भीतर एक संग्रहालय है जिसमें टेराकोटा से बनी वस्तुएं, बाघ गुफ़ाओं की प्रतियां, पहली और दूसरी सदी के पुरातात्विक अवशेष तथा धार्मिक पुस्तकें रखी हैं। 

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