ग्वालियर की जीवंत विरासत में इस प्रसिद्ध नृत्य शैली का विशेष स्थान रहा है तथा मध्य प्रदेश के लोगों के बीच इसे अपार लोकप्रियता हासिल है। लोक महोत्सवों के दौरान बरेदी, अहीर, ग्वाला, राउत एवं रावत समुदाय के लोग इस नृत्य को बड़े उत्साह के साथ करते हैं। यह नृत्य पुरुषों एवं महिलाओं दोनों द्वारा किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि वे भगवान कृष्ण के वंशज हैं। यह नृत्य भारतीय पौराणिक कथाओं से बहुत अधिक प्रभावित है तथा इस दौरान कलाकारों की भाव-भंगिमाएं देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। कलाकारों की स्पष्ट एवं तेज़ गति, रंग-बिरंगी पोशाकें एवं जोश, ये सभी कुछ मिलकर दर्शक को आत्मसात करने में कारगर होते हैं। इस क्षेत्र के प्रतिभाशाली अहीर लोकनर्तकों की अभिभूत कर देने वाली अहीरी प्रस्तुति का साक्षी बनने के लिए आप शहर में होने वाले किसी भी एक लोक आयोजनों में से किसी एक में अवश्य हिस्सा लें।

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