![मानसिंह पैलेस](/content/dam/incredibleindia/images/places/gwalior/gwalior-man-singh-palace-10.jpg/jcr:content/renditions/cq5dam.web.1800.600.jpeg)
क्षमा करें, हमें आपकी खोज से मेल खाने वाली कोई भी चीज़ नहीं मिली।
प्रभावशाली मानसिंह पैलेस ग्वालियर किले में स्थित अन्य संरचनाओं पर हावी है। यह महल, वर्तमान में ऐसे बचे कुछ ही महलों में से एक है, जो मुग़लकाल से पहले बने थे। यह महल बाहर किए गए रंगीन टाइलों के काम के लिए लोकप्रिय है। महल में बने बहुरंगीय भित्तिचित्रों में नीले रंग की शानदार चमकीली सिरेमिक टाइलों पर पीले व हरे रंग में बत्तख, हाथी, मगरमच्छ एवं बाघ बने हुए हैं! यह चित्र मंदिर अथवा रंगा हुआ महल भी कहलाता है।
इसका निर्माण तोमर वंश के राजा मानसिंह ने 1486 से 1517 के बीच बनवाया था। चार मंज़िला इस भवन के दो आंगन हैं, जिसके चारों ओर दो स्तरीय कक्ष बने हुए हैं। इसमें दो हॉल भी हैं, जो गोलाकार एवं स्तंभ पर टिके हुए हैं, निचले स्तर पर इन्हें गर्मियों में तापमान कम करने के लिए बनवाया गया था। इन हॉल की दीवारों में अनोखी प्रणाली बनाई गई थी, जिससे लोग अपनी-अपनी जगहों पर रहकर ही एक दूसरे से बातचीत कर सकते थे। मुग़लों ने बाद में इन हॉल को कारागार में तब्दील कर दिया था। जौहर कुंड, हालांकि जिसे अब बंद कर दिया गया है, वह भी महल परिसर मे स्थित है। इस महल के आसपास शाहजहां महल, गूजरी महल एवं जहांगीर महल बने हुए हैं। हर शाम को यहां पर साउंड एवं लाइट शो आयोजित किया जाता है, जिसमें किले का इतिहास उजागर किया जाता है।