खंडगिरि और उदयगिरि की जुड़वाँ पहाड़ियाँ, जिन्हें कुमारगिरि और कुमारीगिरि के नाम से भी जाना जाता है, अपनी चट्टानी गुफाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, जो पहली और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान जैन भिक्षुओं के लिए बनाई गई थीं । उनमें राजा खारवेल के शासनकाल के 13 वर्षों के पाषाणीय अभिलेख भी मौजूद हैं। उनकी रानी कला और शिल्प की संरक्षक थीं, यही वजह है कि इन गुफाओं की मूर्तियां और कलाकृतियाँ असाधारण हैं। ये पाषाणीय अभिलेख उदयगिरि में हाथी गुम्फा की दीवारों पर खुदे हुए हैं, और भारत में पाए जाने वाले पाली अभिलेखों का एक बेहतरीन उदाहरण हैं। उदयगिरि की गुफाओं में स्थित रानी गुम्फा भी अपने विशाल दालान और मूर्तिकला की चकाचौंध की ओर पर्यटकों को आकर्षित करती है। बाईं ओर स्थित खंडगिरी में 15 गुफाएँ हैं तथा दाईं ओर स्थित उदयगिरि में 18 गुफाएँ हैं। ये गुफाएँ भुवनेश्वर शहर से लगभग 7 किमी दूर स्थित हैं।

अन्य आकर्षण