यहाँ का प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अक्सर इसे भुवनेश्वर का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। व्यापक रूप से मान्यता है कि इसे 6वीं शताब्दी में बनाया गया था तथा इसका उल्लेख ब्रह्म पुराण में मिलता है। यह संरचना ओडिशा की वास्तुकला के सबसे परिपक्व चरण का प्रतिनिधित्व करती है, तथा इसका देउल अथवा स्तम्भ 180 फीट से भी अधिक ऊंचा है। यह विशेष रूप से इसलिए आकर्षक है कि इसके शिखर पर भी इसी शिखर की लघु प्रतिकृतियाँ निर्मित हैं। इसके अलावा एक चमत्कारी दृष्टिभ्रम  के कारण 55 मीटर ऊँचा यह मंदिर वास्तव में जितना बड़ा है, उससे कहीं अधिक बड़ा दिखता है! मंदिर की दीवारें बारीक नक्काशी और मूर्तियों से सजी हैं।

यहाँ भ्रमण करने के लिए जनवरी और मार्च के बीच का समय सबसे अच्छा होता है, जब यहाँ महाशिवरात्रि का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान शिव के अलावा, इस मंदिर में भक्त भगवान विष्णु की भी पूजा करते हैं।

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