950 ई के आसपास निर्मित मुक्तेश्वर मंदिर को अक्सर ओडिशा की वास्तुकला का एक लघु रत्न कहा जाता है। इसकी वास्तुकला कलिंग वास्तुशैली के शुरुआती और बाद के चरणों के बीच एक संक्रमण बिंदु को चिह्नित करती है। इसी कारण से कई इतिहासकार इस मंदिर को नई संस्कृति का अग्रदूत कहते हैं। मंदिर देवी सरस्वती, भगवान गणेश और भगवान शिव को समर्पित है जिनके आराधनास्थल यहां स्थापित किए गए हैं। इसके जगमोहन अथवा पोर्च की जालीदार खिड़कियां परशुरामेश्वर मंदिर से मिलती जुलती हैं। इस मंदिर का एक आकर्षण इसकी मूर्तियां हैं, उदाहरण के लिए इसके जगमोहन की खिड़कियों के आस-पास गढ़ी हुई बंदरों की मूर्तियाँ पंचतंत्र की प्राचीन भारतीय कहानियों से लिए गए हास्य दृश्यों को चित्रित करती हैं। चूँकि यह 35 फुट ऊँचा मंदिर आकार में काफ़ी छोटा है, इसलिए यह स्पष्ट होता है कि यह एक प्राचीन संरचना है क्योंकि उस समय तक ओडिशा में बड़े मंदिरों का निर्माण प्रारंभ नहीं हुआ था।

अन्य आकर्षण