भगवान लिंगराज की रथयात्रा कहा जाने वाला अशोकाष्टमी का त्यौहार मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान, लिंगराज मंदिर से निकाल कर भगवान लिंगराज की मूर्ति को रथ पर रखा जाता है और रामेश्वर मंदिर ले जाया जाता है। इस जनयात्रा में नाचते और गाते हजारों भक्त शामिल होते हैं। चार दिनों के बाद, भगवान लिंगराज को लिंगराज मंदिर में वापस लाया जाता है। जनयात्रा के मार्ग में भक्तों को स्वादिष्ट मिठाइयाँ और व्यंजन प्रस्तुत किए जाते हैं।

इस त्योहार का उल्लेख पौराणिक कथाओं में निहित है। ऐसा माना जाता है कि राक्षस रावण का वध करने के बाद भगवान राम 'अशोक' अर्थात दुःख से विहीन हो गए थे। इसी उत्साह की भावना में उन्होंने भगवान शिव और देवी दुर्गा की प्रतिमाओं लेकर एक रथ यात्रा का आयोजन किया था। कहा जाता है कि वह हिन्दू पंचांग के चैत्र महीने का 8वां दिन था - जिसे शुक्ल अष्टमी कहा जाता है। अतः इस उत्सव को अशोकाष्टमी कहा जाता है।

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