सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी को समर्पित पाउंटा साहिब एक अनोखा शहर है जहां आध्यात्मिकता की गूंज सुनाई देती है। यहां का मुख्य आकर्षण वह भव्य गुरुद्वारा है जहां पूरे बरस बड़ी तादाद में सिक्ख तीर्थयात्रियों का आना लगा रहता है। कहा जाता है कि यहां पर बड़ी संख्या में गुरु जी के हथियार भी सुरक्षित रखे गए हैं।

एक खूबसूरत सोने की पालकी इस गुरुद्वारे में प्रदर्शित की गई है और कहा जाता है कि इसे श्रद्धालुओं ने ही दान दिया था। गुरुद्वारे के भीतर श्री तालाब साहिब और श्री दस्तार अस्थान महत्वपूर्ण स्थान हैं। श्री दस्तार अस्थान पर पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। गुरुद्वारे के अंदर एक और लोकप्रिय स्थान कवि दरबार है जहां पर काव्य प्रतियोगिताएं आयाजित होती हैं। अन्य सभी गुरुद्वारों की ही तरह यहां का लंगर भी हर किसी के लिए खुला रहता है।

गुरुद्वारे के अतिरिक्त यहां बहुत सारे महत्वपूर्ण मंदिर भी हैं जैसे कि विश्वकर्मा मंदिर, जो कि श्रद्धालुओं को काफी आकर्षित करता है।यमुना मैया को समर्पित एक मंदिर भी दर्शनीय है।
इस शहर के नाम को लेकर दो कथाएं प्रचलित हैं।एक मान्यता तो यह है कि ‘पाउंटा’ शब्द पांव से बना क्योंकि श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज के पवित्र चरण इस धरती पर पड़े थे। दूसरी मान्यता यह है कि यहां यमुना में नहाते हुए गुरु महाराज का एक आभूषण ‘पाउंटा’ कहीं खो गया था जिसके नाम पर इस जगह का नाम पड़ा। एक अन्य स्थानीय मान्यता के अनुसार गुरु महाराज ने सिक्ख धर्म की एक पवित्र पुस्तक ‘दशम ग्रंथ’ की रचना इसी स्थान पर की थी।

अन्य आकर्षण