1965 में खोछेन रिन्पोचे द्वारा स्थापित यह मोनेस्ट्री बौद्ध धर्म की नाईंग्मा शाखा के छह बौद्ध-मठों में से एक है। इसका निर्माण इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रति लोगों के विश्वास को जगाने के लिए किया गया था। मुख्य शहर से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर स्थित यह शानदार मोनेस्ट्री एक अलग ही किस्म की भव्य दुनिया में ले जाती है। यहां का विशाल स्तूप लगभग 60 मीटर ऊंचा है और दुनिया के सबसे ऊंचे स्तूपों में से एक है। इस मठ में बौद्ध अवशेष, भित्ति चित्र व तिब्बती कला के नमूने भी प्रदर्शित किए गए हैं। दलाई लामा को समर्पित, शाक्यमुनि बौद्ध की 35 मीटर ऊंची एक बेहद प्रभावशालीसुनहरी मूर्ति इस मठ का प्रमुख आकर्षण है। अपनी शुरूआत से ही लगातार विकसित हो रहीइस मोनेस्ट्री की गिनती आज विश्व के विशालतम बौद्ध केंद्रों में की जाती है। यह अति-प्रेरणादायक स्थल गहन वज्ररायण बौद्ध धर्म शाखा का प्रतिनिधित्व करता है। यहां देश के सबसे बड़े बौद्ध शिक्षा संस्थानों में से एक नाग्यूर नाईंग्मा कॉलेज भी स्थित है।यह अत्याधुनिक संस्थानप्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा सुविधाएं देने के अतिरिक्त करीब 300 भिक्षुओं को शांतिपूर्ण आध्यात्मिकता का संदेश देने का प्रशिक्षण भी देता है। यहां एक ढेरों पुस्तकों वाला एक विशाल पुस्तकालय और एक मनोरंजन-केंद्र भी है। इस मोनेस्ट्री में आकर आध्यात्मिकता, शांति और पवित्रता का एक अद्भुत अहसास होता है।

अन्य आकर्षण