काष्ठ.कला

काष्ठ-कला उत्तराखंड की विशेषता है और इस क्षेत्र की संस्कृति का एक अभिन्न अंग भी। ज्यादातर गढ़वाली घरों में बारीक नक्काशी वाले लकड़ी के दरवाजे होते हैं। गढ़वाल और कुमाऊं की बारीक और खूबसूरत लकड़ी की नक्काशी इस क्षेत्र के महलों और मंदिरों में देखी जा सकती है। 

इस शिल्प को यहां बढ़ावा मिलने का बड़ा कारण यहां प्रचुरता से उपलब्ध इमारती लकड़ी है। जब आप यहां जाएं तो सजावटी सामान, जानवरों के पुतले, छड़ियां, प्रसिद्ध मंदिरों के छोटे नमूने, देवी-देवताओं की मूर्तियां आदि खरीदना न भूलें।

काष्ठ.कला

ऐपण

ऐपण (अल्पना) रंगोली का पारंपरिक रूप है जो कि घरों के प्रवेश द्वार के निकट रंगीन चावलों, फूलों की पंखुड़ियों, आटे आदि से सजावट के तौर पर बनाई जाती है।  यह एक सदियों पुरानी प्रथा है जिसका पालन किसी भी शुभ अवसर, त्योहार आदि के अवसर पर किया जाता है। उत्तराखंड में ऐपण आमतौर पर कुमाऊंनी लोग बनाते हैं। प्रवेश द्वार के अतिरिक्त दीवारों आदि पर भी सजावट की जाती है। कपड़े और कागज़ के टुकड़ों से भी घरों को सजाया जाता है। देवी-देवताओं की आकृतियों के अलावा प्रकृति के प्रतीकों और विभिन्न प्रकार के ज्यामितीय आकारों को बनाया जाता है। इन्हें बनाने के लिए गेरू और पिसे हुए चावल का इस्तेमाल किया जाता है। एक बार बेस बन जाने के बाद उस पर आकृतियां बनाई जाती हैं।

ऐपण