भदोही जिसे कालीन का शहर भी कहते हैं, यह छोटा सा कस्बा वाराणसी से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रंग-बिरंगे व हाथ से बने कालीनों के लिए प्रसिद्ध भदोही, दक्षिण एशिया में हाथ से बुने एवं हस्तनिर्मित कालीन का सबसे बड़ा उद्योग है। देश भर के प्रशंसक एवं ख़रीदार कालीन लेने यहां खिंचे चले आते हैं। ऐसा माना जाता है कि भदोही में कालीन बनाने की कला 16वीं सदी में ईरानी यात्रियों द्वारा सिखाई गई थी। वास्तव में, इस शहर में दरी, लोरीबफ़्त, छप्परा मीर, इंडो गाबेब जैसी संजातीय बनावट वाले विविध प्रकार के सुंदर कालीन हाथ से बनाए जाते हैं। यहां पर नेपाली कालीन भी मिलते हैं। कोई भी यहां पर कालीन बनाने की प्रक्रिया का प्रत्यक्ष अनुभव ग्रहण कर सकता है।   

प्रतिष्ठित भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान भी यहीं स्थित है जो क्षेत्र में कालीन बनाने की तकनीक को प्रोत्साहित करती है। सीतामढ़ी मंदिर जैसे अनेक प्रसिद्ध मंदिर भदोही में स्थित है जो गंगा नदी के किनारां पर बने हुए हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार यही वह जगह है जहां पर देवी सीता धरती में समा गई थीं। यहां पर भगवान हनुमान की 110 फुट ऊंची प्रतिमा बनी हुई है। ऐसा माना जाता है कि यह हनुमान की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है। शनिधाम, तिलंगा शिवजाटपुर, तिलंगेश्वरनाथ एवं भद्रकाली कुछ ऐसे मंदिर हैं, जो देखने लायक हैं। 

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