विश्व भर में बौद्ध धर्म के बेहद श्रद्धेय तीर्थस्थलों में एक सारनाथ, वाराणसी से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि निर्वाण प्राप्ति के पश्चात् भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं पर दिया था, जो महाधर्म चक्र परिवर्तन सूत्र के नाम से पावन स्थली के रूप में विख्यात हुआ। सारनाथ में अनेक भवन बने हुए हैं जैसे धमेख स्तूप व चौखंडी स्तूप, जहां पर भगवान बुद्ध अपने पांच शिष्यों से मिले थे और मुलगंध कुट्टी विहार स्थित है।

चौखंडी स्तूप वाराणसी से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसका निर्माण चौथी एवं छठी सदी में गुप्तकाल के दौरान अष्टकोणीय मीनार के रूप में किया गया था। धमेख स्तूप का निर्माण ईंटों से ठोस एवं बेलनाकार आकार में किया गया था। इस स्तूप की ऊंचाई 43.6 मीटर तथा आधार व्यास 28 मीटर है। इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने 249 ईसा पूर्व में किया था, जबकि इसका पुनर्निर्माण 5वीं सदी में किया गया। यह धर्म चक्र स्तूप भी कहलाता है।     

सारनाथ में अन्य लोकप्रिय आकर्षणों के अलावा धातु से बना एक स्तंभ भी है, जिसकी स्थापना सम्राट अशोक ने 272-273 ईसा पूर्व में की थी। यह बौद्ध संघ की नींव को चि(नत करता है। यह स्तंभ 50 मीटर ऊंचा है तथा इसके शिखर पर चार सिंह की मूर्तियां विद्यमान हैं, जो सिंहचतुर्थमुख कहलाती हैं। यह भारतीय गणराज्य का प्रतीक है। इन चारों सिंह के नीचे, चार अन्य पशु - बैल, सिंह, हाथी तथा अश्व बने हुए हैं। ये भगवान बुद्ध के जीवन के विभिन्न चरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।  

सारनाथ जैनियों के 11वें तीर्थंकर की भी जन्मस्थली है, इस कारण से यह स्थल जैनियों के लिए सम्मानजनक माना जाता है। 

दुनिया में ऐसे अनेक देश हैं जहां बौद्ध मुख्य धर्म है, उन्होंने अपने देशों की विशिष्ट स्थापत्य शैली में सारनाथ में मंदिर व मठों का निर्माण किया है। यहां के बेहद लोकप्रिय आध्यात्मिक स्थलों में थाई मठ तथा बुद्ध की प्रतिमा भी है, जो चौखंडी स्तूप से दिखाई देते हैं। मंदिर के बाहर हरे-भरे बगीचे में सुकून से बैठकर अथवा ध्यान लगाकर मंदिर से उत्पन्न होने वाले आध्यात्मिक भावों के भवसागर में डुबकी लगा सकते हैं।

तिब्बती मंदिर एक अन्य महत्वपूर्ण जगह है जिसमें शाक्यमुनि की प्रतिमा बनी हुई है, जो भगवान बुद्ध का ही रूप हैं। मंदिर के बाहर, प्रार्थना चक्र रखे हुए हैं, जब उन्हें घुमाते हैं तब प्रार्थनाएं लिखे हुए काग़ज़ पढ़ने को मिलते हैं।  

सारनाथ का प्रमुख आकर्षण मूलगंधकुटी विहार है, जो 100 फुट ऊंचा स्तंभ रूपी मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि यह वही स्थान है, सारनाथ प्रवास के दौरान भगवान बुद्ध जहां पर ठहरे थे। यहां पर नीले पत्थर से बुद्ध वॉक बनाया गया है तथा एक छोटी सी झील भी है। 

प्रसिद्ध बोधी वृक्ष के दर्शन के बिना सारनाथ की आध्यात्मिक यात्रा सम्पन्न नहीं मानी जाती है। ऐसा कहते हैं कि बोधगया में स्थित मूल बोधी वृक्ष के एक हिस्से को काटकर यहां पर रोपित किया गया है। कोई भी इसके निकट स्थित श्रीलंका का बौद्ध मठ देखने जा सकता है। 

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