बाबा रेशी की ज़ियारत गुलमर्ग की ढलानों के नीचे स्थित एक पवित्र स्थान है। यह एक प्रसिद्ध मुस्लिम संतए बाबा पायमउद्दीन की समाधि हैए जिनकी मृत्यु वर्ष 1480 में हुई थी। यह मंदिर 13वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस संत को कश्मीर राजाए ज़ैन उल.अबिदीन का पूर्व दरबारी कहा जाता है। बाद मेंए उन्होंने अपने सांसारिक संबंधों को त्याग दिया और एक दिन कड़ी मेहनत करती चींटियों को करीब से देखने के बाद वे संत बन गए। समूह में यहां आने वाले भक्तों के बीच यह मंदिर काफी लोकप्रिय है। यहां गुलमर्ग और तंगमर्ग दोनों जगहों से पहुंचा जा सकता है। यह समुद्र तल से 7000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है।

यहां लकड़ी का बेहद सुंदर अलंकरण है। यहां बेऔलाद औरतों की दुआएं कुबूल होती हैं। इसलिए यहां निःसंतान औरतें बच्चों के लिए दुआ मांगती हैं और इबादत करती हैं। यहां की स्थानीय मान्यता के अनुसार इन दुआओं से जिन बच्चों का जन्म होता हैय उन्हें ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा लेनी होती है और पूरी उम्र इस जियारत से जुड़ा रहना पड़ता है।

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