सेवई

सेवईं एक मीठा व्यंजन हैए जो मुख्य रूप से ईद के त्योहार पर परोसा जाता है। इसे मीठी सेवईं भी कहा जाता है। इसे तैयार करने में ज्यादा समय नहीं लगता और इस उत्सव का प्रतीक माना जाता है। इस सेवईं को देशी घीए दूधए बादाम और पिस्ता मिलाकर बनाया जाता है।

सेवई

शीरमाल

शीरमला एक पारंपरिक पराठा हैए जो थोड़ा मीठा होता है और इसमें केवड़ा ;पांडनस के पौधे के फूल के अर्कद्ध का स्वाद होता है। इसके ऊपर से तिल के बीजों को डाला जाता है। शीरमला अवधी पाक शैली का सामान्य व्यंजन हैए जिसमें मुगलई असर भी दिखता है। यह दिखने और स्वाद में फारसी केसर की रोटी जैसी होती है।

शीरमाल

दोपहर की चाय

कश्मीरी नून टीए जिसे शीर चाए गुलाबी चायए कश्मीर चाय और पिंक टी भी कहा जाता है। यह कश्मीर घाटी का एक पारंपरिक पेय है। इसकी उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है। यह चाय अपनी सुगंध और स्वाद के लिए दुनिया भर में प्रसिद्घ है। इसे आमतौर पर हरी चाय की पत्तियोंए दूध और बेकिंग सोडा से बनाया जाता है। इसे एक विशेष प्रकार बर्तन में पकाया जाता हैए जिसे समवर कहा जाता है।

दोपहर की चाय

नादर मोनजे

नादेर मोंजे एक कश्मीरी जलपान हैए जिसे कमल के तने और मसालों का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। यह एक तला हुआ नाश्ता है। परंपरागत रूप से इसे कश्मीरी प्याज की चटनी और टमाटर की चटनी के साथ परोसा जाता है।

नादर मोनजे

दम आलू

कश्मीरी दम आलू एक बहुत ही लोकप्रिय कश्मीरी व्यंजन हैए जिसमें छोटे.छोटे आलू को दही से बनी ग्रेवी में डुबोकर बनाया जाता है। इसमें सूखे अदरक और सौंफ का स्वाद होता है। इसे आमतौर पर कई रोटियों ;जैसे नानए रोटी और तंदूरी रोटीद्ध के साथ परोसा जाता है। इस कश्मीरी व्यंजन का स्वाद लाजवाब है।

दम आलू

मुजी गाद

 कश्मीरी मुजी गाद एक मछली से बनी डिश हैए जिसे त्योहारों और विशेष अवसरों पर परोसा जाता है। मूली से इसकी सजावट की जाती है। गाद शाकाहारी और मांसाहारी खाद्य वस्तुओं का संयोजन है।

मुजी गाद

गद्दी मंजी

गद्दे मोंजे कश्मीर घाटी का व्यंजन है। इसे मछली से बनाया जाता है। मछली को मसालेदार आटे के घोल में डुबोकर अच्छी तरह से तला जाता है। मछली पसंद करने वालेे इसे बढ़े चाव से खाते हैं। इसका शाकाहारी प्रतिरूप नादेर मोंजे नामक डिश हैए जिसमें मछली के बजाय कमल के तने का उपयोग किया जाता है।

गद्दी मंजी

तुज्ज़

तुज्ज को सीक.ए.तुज्ज भी कहा जाता है। यह धातु की छड़ पर भुना हुआ मांस है। इसमें मांस के टुकड़ों को लकड़ी या कोयले की धीमी आंच पर पकाया जाता है। तुज्ज मटन के कटे हुए टुकड़े होते हैंए जिन्हें स्टील की रॉड में डालकर अंगारों पर भुना जाता है। इसे चटनी और लवासा नामक विशेष कश्मीरी रोटी के साथ परोसा जाता है।

तुज्ज़

यखनी

याखनी एक मांसाहारी पारंपरिक कश्मीरी व्यंजन है। इसे बनाने के लिए मटनए दहीए इलायचीए लौंग और दालचीनी का इस्तेमाल किया जाता है। याखनी कई प्रकार की होती हैं जैसे भुनी हुईए जो मेमने की भुनी मसालेदार टांग होती है। ज्यादातर इसे उत्सवों में परोसा जाता है। इसमें मसालों की अद्भुत सुगंध होती है।

यखनी

गुश्ताबा

गुश्तबा कश्मीरी व्यंजन हैए जिसे कश्मीरी मीट.बॉल करी भी कहा जाता है। यह बहुस्तरीय कश्मीरी व्यंजन वज़वान का मुख्य व्यंजन है। पारंपरिक तौर पर यह भोजन के अंत में परोसा जाता है। इसमें मटन के कीमों को दही और मसालों में पकाया जाता है।

गुश्ताबा

वाज़वान

वज़वान एक पारंपरिक कश्मीरी व्यंजन है। यह 36 प्रकार के भोगों में से एक है। इसके सभी व्यंजन मीट से बनाए जाते हैं। इसेे बनाने की तैयारी कश्मीरी संस्कृति में गर्व की बात मानी जाती है। वज़वान को आमतौर पर शादियों में परोसा जाता है। वज़वान सिर्फ एक व्यंजन ही नहीं हैए बल्कि इससे बढ़कर है। इसकी दावत लगभग एक उत्सव की तरह होती है। इसमें चार आदमी सफेद चादर पर बिठाये जाते हैं और उन्हें वज़वान परोसा जाता है। वज़वान में परोसे जाने वाले कुछ लोकप्रिय व्यंजन में तबक.माज़ हैंए जो मेमने की पसलियों का मांस हैय डेनी फाउलए जो कि मटन हैय वाजा चिकनए इसमें पूरे मटन को दो हिस्सों में पकाया जाता हैय कश्मीरी मेथीए यह भेड़ के पेट और मेथी से बना एक स्टू हैय रिस्ताए कश्मीरी मीटबॉल हैं जो लाल ग्रेवी में बनाया जाता हैय दूध रसए मीट से बना व्यंजन है जिसे मीठे दूध में पकाया जाता है।

वाज़वान

कहवा

कहवा एक कश्मीरी पेय हैए जो अफगानिस्तानए पाकिस्तान और भारत में पायी जाने वाली एक प्रकार की पारंपरिक ग्रीन टी है। इसकी शुरुआत भारत में हुई थी और धीरे.धीरे यह पश्चिमी घाटए मालाबार और कश्मीर की घाटी में पहुंच गया। अब यह पूरे मध्य एशिया में फैल चुका है। यह कश्मीरियों का पसंदीदा पेय है और आमतौर पर इसे नाश्ते में ब्रेड ;सिंके हुए कश्मीरी गिर्डाद्ध के साथ लिया जाता है।

कहवा

मटन रोगन जोश

मटन रोगन जोश एक लोकप्रिय शीतकालीन व्यंजन है। इसे धीमी आंच पर तैयार किया जाता है और इसमें भांति.भांति के मसाले मिलाए जाते हैं। इस कश्मीरी व्यंजन का स्वाद उस वक्त दोगुना हो जाता है जब इसे शीरमाल ;मीठी रोटीद्धए नान ;खमीरयुक्त रोटीद्धए रोटीए चावलए बिरयानी और रायता के साथ परोसा जाता है। 15वीं शताब्दी में मुगलों द्वारा कश्मीर में रोगन जोश की शुरुआत की गई थीए इसलिए इसमें कुछ फारसी फ्लेवर भी है।

मटन रोगन जोश