बासमती चावल से बनी बिरयानी दिल्ली के हर कोने में मिलती हैए जिसकी विविधताएं स्थानीय या किसी विषेश स्थान से संबंद्धित रहती हैं। इसे धीमी आंच में एक हांडी में भारतीय मसालों के साथ पकाया जाता हैए और इसमें केसर और मांस के टुकड़े मिलाये जाते हैं। स्वादिष्ट बिरयानी बनाने की विधि थोड़ी जटिल हैए इसे बनाने के लिए कौन सी चीज़ कब और कितनी डालनी है इस तकनीक का पता होना चाहिए। पारंपरिक पद्धति में दम पुख्त में बिरयानी पकाया जाता हैए जो एक धीमी आंच के चूल्हा है। एक हाड़ी में सभी सामग्री डाल कर इसे कोयले की आंच पर धीरे.धीरे पकाया जाता है। हांडी को आटे की लेप से बन्द कर दिया जाता हैए इस वजह से भाप से मांस पक कर मुलायम हो जाता है और चावल पानी में रिस जाता है। बिरयानी में 15 से भी अधिक प्रकार के मसालों का उपयोग होता हैं। इसकी कई विविधताएं हैंए हालांकि चिकन इसकी मुख्य सामग्री है पर इसमें केकड़ेए झींगे और मछली का भी उपयोग किया जा सकता है। इस पकवान में अच्छी सुगंध देने के लिए गुलाब जलए केवड़ा जल और खाद्य इतर को भी मिलाया जाता है।ऐसा कहा जाता है कि बिरयानी बनानी की विधि का नुस्खा तुर्क और मंगोल विजेता तैमूर अपने साथ ले कर भारत आए थे। ऐसा माना जाता है कि तैमूर की सेना को खाने के लिए चावलए मांस और मसालों का मिश्रण दिया जाता थाए जो एक बड़ी हांडी में पकाया जाता था।इसकी एक और कहानी है कि बिरयानी अरब व्यापारियों द्वारा मालाबार तट पर लाई गई थी। तमिल साहित्य में एक ऐतिहासिक अभिलेख में श्ऊँ सोरूश् नामक चावल के एक पकवान का वर्णन मिलता हैए जो 2 ईस्वी में व्यापारियों द्वारा लाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि यह पकवान चावल से बना होता थाए जिसमें घीए मांसए धनियाए काली मिर्चए हल्दी और तेजपत्ता मिला होता था।

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