कबाब भारत में अफगानों द्वारा लाया गया था और इसकी शुरूआत तुर्की की रसोई में हुई थी। इसकी लोकप्रियता मुगल काल के दौरान हुई थी और आज के समय में देश भर में तरह.तरह के कबाब खाने को मिलते हैं। यह बारीक कटे हुए मांस और भारतीय महक वाले मसालों से बनाया जाता है। दिल्ली में रूई की तरह मुलायम कबाब को देख कर आपके मुंह में पानी भर आएगा। यहां तरह.तरह के लजीज कबाब खाने को मिलते हैंए जैसे काकोरी कबाबए और यह कबाब मटन पर पुदीने के लेप लगा कर पकाया जाता है। शम्मी कबाबए मटन या चिकन का बना हुआ होता हैं और यह मुलायम कबाबए मुंह में डालते ही धुल जाता है। रेशमी कबाबए बरीक कटे हुए चिकन से बनता है और इसे कोयले की आंच पर पकाया जाता है। सुतली कबाब को एक आकार में मांस को काट कर उस पर मसालों का पेस्ट लगाया जाता है और फिर इसे सीक में डाल कर पकाया जाता है।कबाब तैयार करने की प्रक्रिया बेहद दिलचस्प है। इसे सीक के अंदर डाल कर तंदूर में पकाया जाता है। इसके पकने के बाद इस पर नींबू निचोड़ दिया जाता हैए फिर इसे रूमाली रोटी और प्याज के साथ खाया जाता है।

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