विशाल ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी सिरे पर बसा है गुवाहाटी । असम का सबसे बड़ा यह शहर अपने अंदर ढेर सारा आध्यात्म और रोमांच समेटे है। यहां विश्व प्रसिद्ध कामाख्या देवी का मंदिर भी स्थित है, जो देवी सती का अवतार मानी जाती हैं। आठवीं सदी में बने इस मंदिर में पूरा साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यही नहीं स्थित मंदिरों के अलावा ब्रह्मपुत्र नदीं में नौकासवारी भी अपने आप में एक जादुई अनुभव प्रतीत होता है। रोमांच पसंद सैलानी यहां से करीब 78 किमी मोरी गांव स्थित एलीफेंट राक्स पर राक क्लाइमिंग का भरपूर मजा ले सकते हैं। 

इतना ही नहीं गुवाहाटी में ऐसे अनेकों ट्रैकिंग मार्ग हैं, जो प्रकृति की बेहद खूबसूरत चित्रकारी से सजे दिखते हैं तथा यहां की अति सुंदर कैपिंग साइट्स भी, सैलानियों के लिए समय को रोक सा देती हैं। गुवाहाटी अपने बेहद विशाल घने जंगलों के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां भारी संख्या में पेड़-पौधों की विभिन्न प्रजातियां, वनस्पती और जीव-जंतुओं की ढेर सारी प्रजातियां पायी जाती हैं। इनके संरक्षण के लिए यहां पर कई वन्य-जीव अभयारण्य हैं, जिनमें जाने के लिए कभी चलकर तो कभी पानी के बीच से होकर जाना पड़ता है। यह शहर अपनी जंगल सफारी के लिए भी पर्यटकों के बीच बहुत अधिक लोकप्रिय है। क्योंकि इस रोमांचकारी के सफर में आपको अचानक से कोई लोमड़ी जंगल में सैर करती दिख सकती है या फिर सूखी पत्तियों के बीच तेजी से लहराकर जाता हुआ कोई कोबरा आपको चौंका सकता है। जब यहां आएं तो ब्रह्मपुत्र नदी के पानी में तैरती खूबसूरत डाल्फिन देखना बिलकुल न भूलें और पक्षी प्रेमी भी यहां प्रवास के लिए आये खूबसूरत विदेशी पंछियों का दीदार कर सकते हैं।

गुवाहाटी शहर का प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह हिस्सा, जहां इसे बेहद शांत वातावरण प्रदान करता है वहीं मुख्य शहर विभिन्न प्रकार के उत्सवों, मेलों, नृत्य-संगीत और कला एवं शिल्प का एक व्यस्त केन्द्र माना जाता है। विश्व प्रसिद्ध बिहु नृत्य से लेकर तेज संगीत पर किया जाने वाला भोरतल नृत्य, इस शहर की संस्कृति की खूबसूरत बानगी पेश करता है। मतलब यह है कि इस शहर में कला और संस्कृति के इतने सारे रंग हैं कि यहां आने वाले सैलानी किंक कर्त्तव्य विमूढ़ हो जाते हैं। 

सभ्यता और संस्कृति के रंगों के अलावा इस शहर का अपना स्थानीय जायका यहां के इतिहास में भी मिलता है। नदी किनारे बसे पुराने घर, ऊंचे-ऊंचे ताड़ के पेड़ों और झीलों के पास स्थित सुंदर मंदिर तथा पुराने राजसी निवास इस क्षेत्र के गौरवमयी इतिहास को बयां करते दिखते हैं। दरअसल, इस पूरे इलाके में आहोम कोछ हाजों साम्राज्य के दौरान बहुत प्रगति हुई, जिससे इसे यह गौरवशाली इतिहास मिला। महाभारत काल में भी इस स्थान का उल्लेख एक बहुत शक्तिशाली राज्य के रूप में मिलता है, जिसे प्रागज्योतिषपुर या पूर्व के प्रकाश के नाम से भी जाना जाता था। अपनी इस समृद्ध सांस्कृतिक ऐतिहासिक विरासत के अलावा गुवाहाटी अपनी यार्डेज सिल्क साड़ियों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिन्हें असम सिल्क और मूंगा सिल्क के नाम से भी जाना जाता है।