शहर के बाहरी छोर पर स्थित हजो, भारत के कुछ उन चुनिंदा क्षेत्रों में से है जहां आज भी प्राचीन परंपराओं का निर्वाह किया जाता है। किसी जमाने में बुद्ध धर्म का गढ़ कहा जाने वाला हजो, वही स्थान है जहां तिब्बती बुद्धिज्म के संस्थापक संत पद्मसंभव ने अपनी अंतिम सांस ली थी। इस स्थान पर हयग्रीव माधव मंदिर के अलावा बहुत से अन्य मंदिर और धार्मिक स्थल भी हैं, जहां श्रद्धालु और पर्यटक भारी संख्या में आते हैं। हयग्रीव माधव मंदिर का निर्माण कोछ राजवंश के शासक रघुदेव नारायण ने सन 1583 में करवाया था। मनीकट पर्वत पर स्थित यह मंदिर हजो के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। यहां आने के अलावा पर्यटक भगवान गणेश के मंदिर भी जाते हैं, जिसे आहोम शासक प्रमत्ता सिंहा ने सन 1744 में बनवाया था। असम के इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले सैलानियों को हजो जरूर जाना चाहिये। 

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