असम आने वाले पर्यटक यहां से यादगार के रूप में सिर पर पहनने वाली एक विशेष प्रकार की टोपी सबसे ज्यादा लेकर जाते हैं, जिसे जपी या जापी कहते हैं। असम में बेशक यह सिर पर पहनी जाती है, लेकिन देश-विदेश से आने वाले सैलानी इसे एक सजावट की वस्तु के तौर पर भी खरीदकर लेकर जाते हैं। शंकुकार आहार में बनी जपी टोपियां यहां की संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। असम आने वाले सभी प्रसिद्ध और गणमान्य व्यक्तियों को यह टोपी सम्मान के रूप में भेंट की जाती है। 

यह रंग-बिरंगी टोपी आकार में बहुत बड़ी होती है और किसी जमाने में किसान तथा ग्वाले तेज धूप और बारिश से बचने के लिए इसे पहना करते थे। जपी, दो तरह से बनाई जाती है। बड़े आकार की जपी को हालुवा जपी कहते हैं जो किसानों द्वारा पहनी जाती है जबकि गोरोखिया जपी आकारा में अपेक्षाकृत छोटी होती है, जिसे ग्वाले पहनते हैं। वैसे देखा जाए तो असम की संस्कृति में अलग-अलग प्रकार की टोपियों का विशेष महत्व रहा है। मसलन, पवित्र धार्मिक अनुष्ठानों से लेकर उत्सवों में नृत्य करते बिहु लोक नृतक तक सभी सिर पर टोपी पहनते हैं। जपी टोपियों को खूबसूरत बनाने के लिए उन पर रंग-बिरंगे कपड़ों को टुकड़े सिले जाते हैं। और यदि आप जा रहे हैं तो वहां से जपी टोपी खरीदना जरूर याद रखें। 

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