कांता, संध्या और ललिता नदियों के संगम पर स्थित है एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल- वशिष्ठ आश्रम। इस आश्रम के प्रांगण में ही बगवान शिव का एक मंदिर है, जिसे वशिष्ठ मंदिर कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह वही स्थल है, जहां दिव्य ऋषि वशिष्ठ के मृत शरीर को दफनाया गया था। यह पूरा आश्रम और मंदिर पत्थर तथा टैराकोटा से बनी खूबसूरत मूर्तियों से सुसज्जित है। यहीं आश्रम के बेहद नजदीक वह गुफा भी है, जहां गुरु वशिष्ठ ध्यान लगाया करते थे। पास ही में बहते एक बेहद सुंदर झरने के पानी कल कल करती मधुर ध्वनि मानो इस पावन स्थान में संगीत का रस सा घोल देती है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यहां बहने वाली तीनों नदियों को उनके नाम गुरु वशिष्ठ की तीनों पत्नियों से मिले हैं। यह आश्रम शहर के बाहरी छोर पर बल्टोला में स्थित संध्याचल पर्वत पर स्थित है। यहां से पर्यटक हाथियों के झुण्ड और रंग-बिरंगी तितलियों को निहारते हुए गरभंगा रिर्जव फारेस्ट (संरक्षित वन) की ओर रुख कर सकते हैं। 

अन्य आकर्षण