यह एक ऐसा व्यंजन हैए जिसमें मांस और मज्जा को धीमी आंच पर पकाया जाता है। निहारी को खाना कुछ ऐसा है मानोए मुंह में मांस के स्वाद का एक जबर्दस्त धमाका हुआ हो। मिर्च और मसालेदार स्ट्यू में पके इस नरम मांस कोए तन्दूर में बनाई जाती है और इसे पतली खमीरी रोटी के साथ खाया जाता है। पुरानी दिल्ली में नल्ली निहारी एक पारंपरिक नाश्ता है जिसे लोग बढ़े चाव से खाते हैं।ऐसा कहा जाता है कि निहारी की रेसिपी 17 वीं या 18 वीं सदी की है। यह संभवतः पुरानी दिल्ली में विकसित हुई थी और इसे बनाने की विधि की प्रेरणा अवधी खा़नसामे से ली गई थी।निहारी में एक इंडो फ़ारसी प्रभाव देखने को मिलता हैए जो मुगलों द्वारा भारत लाया गया था। हालांकि निहारी शब्द अरबी के निहार से आया हैए जिसका अर्थ श्सुबहश् होता है। ऐसा कहा जाता है कि मुगल काल के दौरान नवाबों द्वारा उनकी प्रार्थना करने के बाद निहारी को नाश्ते में खाया जाता था। बाद में सेना के जवानों और मुगल सैनिकों को भी ऊर्जा बढ़ाने के लिए इस मांसाहारी व्यंजन को दिया जाने लगा। ऐसा कहा जाता है कि इसे पूरी रात बड़े.बड़े बर्तनों में पकाया जाता था और सुबह मजदूरों और सैनिकों को मुफ्त में परोसा जाता था।इस सुबह के नाश्ते का एक अनूठा पहलू यह है कि कल की बची हुई निहारी ;टारद्ध को अगले दिन तैयार किए जाने वाले पकवान में मिला दिया जाता हैए जिससे उस पकवान का अलग जायका निखर कर आता है। यह प्रथा कई सदियों से चलन में है।

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