पंजाब के बहादुर सैनिकों को समर्पित यह वाॅर हीरो मेमोरियल एवं संग्रहालय, राज्य की देषभक्ति की अमर भावना को एक सच्चीश्रद्धांजलि है। इस इमारत में आधुनिक और पारंपरिक वास्तुषिल्प का मिश्रण देखने को मिलता है और यहां पर एक आकर्षक गैलरी भी है,जहां विभिन्न कलाकृतियां देखी जा सकती हैं। इस संग्रहालय में छायाचित्रों, चित्रकला एवं चित्रों से लेकर हथियार एवं विभिन्न पट्टिकाएंतक उपलब्ध हैं, जिनसे देखने वालों को विषय से संबंधित व्यापक जानकारी मिलती है। इसकी विषेषता यह है कि 1965 से 1971 में हुएयुद्धों के छायाचित्रों का संग्रह यहां विद्यमान है। यहां पर एक भित्तिचित्र भी बना हुआ है, जो 1971 के युद्ध में षहीद हुए 21 सिख सैनिकोंको श्रद्धांजलि देती है। गैलरी में इस भित्तिचित्र का विषेष स्थान है, जो इसका गौरव बढ़ाती है।इस संग्रहालय की परिधि में तीन युगों को दर्षाया गया है यानी कि अंग्रेज़ों के आगमन से पहले का काल, अंग्रेज़ों का षासनकाल एवंस्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का भारत। यहां स्थित 7डी, सात आयामी आॅडिटोरियम के माध्यम से आपको भारतीय सेना एवं उनके द्वारा लड़े गएयुद्धों के इतिहास की रोचक एवं संपूर्ण जानकारी मिलेगी। इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण 45 मीटर ऊंची स्टेनलेस स्टील से बनी वहतलवार है, जो विभिन्न युद्धों के दौरान देष की रक्षा करने वाले बहादुर सैनिकों के साहस और वीरता का प्रतिनिधित्व करती है। आप यहांपर सेवामुक्त कर दिया गया विमानवाहक जलपोत, मिग-23, तीन टैंकों और भारतीय नौसेना के षानदार आईएनएस विक्रांत को भी देखसकते हैं। 1971 के युद्ध के दौरान नौसेना की नाकाबंदी में आईएनएस विक्रांत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह संग्रहालय भारत-पाककी अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित है। वाघा सीमा पर आयोजित होने वाली रोमांचकारी बीटिंग रिट्रीट देखने से पहले आप इससंग्रहालय को देख सकते हैं।

अन्य आकर्षण