अमृतसर एवं लाहौर से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित पुल कंजरी वही स्थान है, जहां महाराजा रणजीत सिंह अपने सिपाहियों व नौकर-चाकरों के साथ जाते समय कुछ पलों के लिए यहां रुके थे। यह स्थल वाघा सीमा से सटे डोका एवं धनोआ कलां गांवों के निकट स्थित है। 

इस परिसर में ऐतिहासिक आकर्षण बरकरार है तथा इसमें एक बावड़ी भी है। बावड़ी के एक किनारे पर गुंबद है, जिसका भीतरी भाग हिंदू शास्त्रों से संबंधित चित्रों तथा राज दरबार की झलकियों से सुसज्जित है। इस परिसर की सीमाओं के भीतर मंदिर, मस्जिद एवं गुरुद्वारा बना हुआ है, जो महान राजा की धर्मनिरपेक्ष प्रवृति का स्पष्ट संकेत देता है। पुल कंजरी 18वीं सदी में व्यापार का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। ऐसा कहा जाता है कि नहर पर इस छोटे से सेतु का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था जो अमृतसर को लाहौर से जोड़ता है। यह पुल महाराजा ने अपनी पसंदीदा नर्तकी मूरन के लिए बनवाया था, वह कलाकार पास ही के गांव मक्खनपुरा की निवासी थी।

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