मुंबई की सबसे आकर्षक जगहों में से एक, हाजी अली के परिसर में मुस्लिम संत, पीर हाजी अली शाह बुखारी का मकबरा और एक मस्जिद है। फोटोग्राफरों में काफ़ी लोकप्रिय, यह स्मारक मुंबई के तटों से देखा जा सकता है और ये तट से करीब 500 गज दूर अरब सागर में एक द्वीप पर स्थित है। कहानियों की मानें तो जब संत पवित्र शहर मक्का की यात्रा कर रहे थे, जो वर्तमान में सऊदी अरब में है, तभी तीर्थ यात्रा के दौरान उनका निधन हो गया। उनका ताबूत अरब सागर में तैरता हुआ मुंबई के तट पर आ पहुंचा, जहां एक मस्जिद बनाई गई। इसकी संरचना में सफेद गुंबद और मीनारें हैं जो मुगल वास्तुकला की झलक देती हैं। यह एक प्रसिद्ध तीर्थ और पर्यटन स्थल है जो मुसलमानों और गैर-मुसलमानों दोनों में काफ़ी लोकप्रिय है। मस्जिद के बगल में एक 85 फुट ऊंची संगमरमर से बनी मीनार है। मस्जिद और मीनार दोनों ही शुद्घ सफेद संगमरमर से बनी हैं जिन पर नक्काशी और गढ़ाई के साथ शीशे का काम भी किया गया है। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि जो कोई भी संत पीर हाजी अली शाह बुखारी से प्रार्थना करता है, वह कभी निराश नहीं होता। ये शांत और निर्मल स्मारक शहर के शोरगुल से दूर समुद्र के कोमल नीले पानी में तैरता हुआ सा लगता है। अक्सर दोपहर के समय यहां लाइव कव्वाली और सूफी संगीत का आयोजन होता है। गुरुवार और शुक्रवार दरगाह के खास दिन होते हैं और इन दिनों में यहां भक्तों की अधिक भीड़ होती है। यहां आने वाले लोग अक्सर इस संत से प्रार्थना करते हैं और अपनी दुआओं के सच होने की कामना करते हैं। उर्स (संत की पुण्यतिथि) और ईद (इस्लामिक धार्मिक त्योहार) जैसे विशेष धार्मिक अवसरों पर, इस स्मारक को खूबसूरती से सजाया जाता है और इस्लामी त्योहारों को मनाया जाता है।

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