हरिद्वार शहर के दक्षिणी भाग में स्थित यह प्रसिद्ध दरगाह, हजरत मखदम अलाउद्दीन अली अहमद (साबिर) की है, जो 13वीं सदी के एक बहुत प्रसिद्ध चिश्ती संत थे। कहा जाता है कि इस स्थान पर कुछ अलौकिक शक्ति आज भी मौजूद है, जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी करती है। यहां न केवल पूरे भारत से, बल्कि दुनिया के अलग-अलग कोने से हर मजहब के लोग आते हैं और मन्नत मांगते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रबिउल के महीने में चांद देखने के पहले दिन से सोहलवें दिन तक यहां दरगाह पर एक भव्य उर्स का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारी संख्या में देसी-विदेशी सैलानी और श्रद्धालु शिरकत करते हैं। रुड़की के बाहरी छोर पर स्थित इस दरगाह का निर्माण दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी नें करवाया था जो कि एक अफगानी था। 

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