कनखल के दक्षिण में स्थित दक्ष महादेव मंदिर, भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर को यह नाम भगवान की शिव अद्धांगिनी देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति के नाम से मिला है। कहा जाता है कि एक बार महाराज दक्ष ने इस स्थान पर यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया और उसमें उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। अपने पिता की इस हरकत से देवी सती ने खुद को बहुत अपमानित महसूस किया और क्रोधित होकर उसी यज्ञ कुंड में छलांग लगा दी। शिव के गणों ने दक्ष की इस हरकत पर क्रुध होकर दक्ष का वध कर डाला। बाद में भगवान शिव ने दक्ष के धड़ पर बकरे का सिर लगाकर उसे जीवनदान दिया। राजा दक्ष को अपनी इस हरकत पर बहुत ग्लानि हुई और उन्होंने भगवान शिव से इसकी शमा याचना की। फिर दक्ष ने घोषणा की, कि जून से अगस्त के बीच पूरे सावन के महीनों में वह कनखल में रहा करेंगे। यहां गंगा नदी के किनारे स्थित सती कुंड को बेहद पवित्र माना जाता है और इस प्राचीन कुंड का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है।     

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