थेपला

गुजरात के प्रसिद्ध और सेहतमंद व्यंजनों में से एक थेपला विशेष रूप से लोकप्रिय है। आमतौर पर सुबह के नाश्ते में खाया जाने वाला थेपला मुलायम रोटी की तरह लगता है। गेंहू के आटे, बेसन, मेथी की पत्तियों और कई तरह के मसालों से तैयार किये जाने वाले थेपले को दिन में नाश्ते के रूप में कभी भी खाया जा सकता है। यूं तो थेपला कई तरह की चीजों से बनता है, लेकिन गुजरात में मेथी की पत्तियों से तैयार थेपला विशेष रूप से पसंद किया जाता है। दही, लहसुन की चटनी और खट्टे-मीठे अचार के साथ थेपलों का स्वाद दोगुना हो जाता है। इस नाश्ते की एक खास बात यह भी है कि यह बनाने में बेहद आसान है और लंबे समय तक ताजा बना रहता है। इसलिए यात्रियों के बीच यह खासा मशहूर है। 

थेपला

खांडवी

गुजरात का एक बेहद मशहूर और स्वादिष्ट व्यंजन है खांडवी जो बेसन में दही और अन्य मसाले मिलाकर बनाया जाता है। मीठे और नमकीन के मिलेजुले स्वाद वाली खांडवी के गोल और बेहद पतले टुकड़े देखने में किसी मिनी रोल की तरह लगते हैं, जो स्वाद में बड़े ही  लाजवाब होते हैं। महाराष्ट्र में इसी खांडवी को पटौली, दहीवड़ी या सुरालिचि वड़ी के नाम से जाना जाता है। यह स्वादिष्ट व्यंजन आमतौर पर खाने से पहले हल्के नाश्ते के रूप में चखा जाता है और लहसुन की चटनी के साथ तो इसका स्वाद दोगुना हो जाता है। इसके स्वाद और ज्यादा बढ़ाने के लिए कुछ लोग इस पर कद्दूकस किया नारियल, कटा हुआ बारीक हरा धनिया और सरसों के दानों का छोंक लगाकर भी खाते हैं। बेहद कम तेल से तैयार होने वाली खांडवी में कैलोरी न के बराबर होती है और नाश्ते का यह एक शानदार विकल्प मानी जाती है। 

खांडवी

गुजरात के लजीज नाश्ते

गुजरात में नाश्ते को फरसान कहते हैं जो पूरे भारत में बहुत चाव से खाए और खिलाए जाते हैं। सेव, गाठिया, चिवड़ा, फाफड़ा और खाकरा कुछ ऐसे गुजराती नाश्ते हैं, जो बेहद प्रचलित हैं। इनमें से अधिकतर नाश्ते खाने में बेहद कुरकुरे होते हैं, इसलिए गरमा गरम चाय के साथ विशेष रूप से पसंद किये जाते हैं। बेहद पतले और कुरकुरे गुजराती पापड़ ऐसा ही एक नाश्ता है, जो पूरे गुजरात में बहुत खाया जाता है। आलू के चिप्स का सेहतमंद विकल्प है, गुजराती फाफड़ा जो बनाया जाता है बेसन, हल्दी और अजवाइन के दाने से। इस मिश्रण को आटे की तरह गूंथकर लंबी-लंबी पतली पट्टियों में काट लिया जाता है और फिर तेल में करारा होने तक तला जाता है। चटनी और छुकीं हुई हरी मिर्च के साथ फाफड़े को खाया जाता है। इसी प्रकार एक अन्य गुजराती व्यंजन गाठिया भी बेसन से ही बनता है, जो अचार और छोंक लगी मिर्च के साथ खाने में बेहद लजीज लगता है। यदि आप गुजरात जाएं तो चाय की हर छोटी-बड़ी दुकान पर आपको कुरकुरा गाठिया चखने को जरूर मिलेगा। पतले पापड़ की तरह लगने वाला खाकरा, दरअसल एक बहुत ही प्रसिद्ध गुजराती नाश्ता है, जो घर पर गेंहू के आटे में बहुत सारे मसाले मिलाकर बनाया जाता है। 

गुजरात के लजीज नाश्ते

गुजराती थाली

एर पारंपरिक गुजराती थाली में घर की बनी रोटी, जिसे रोटली कहा जाता है, कढ़ी जो बेसन और दही के गाढ़े मिश्रण से तैयार होती है, चावल, मिली-जुली कुछ सूखी सब्जियां , जिसे शाक कहा जाता है और खांडवी जो बेसन से बना एक प्रसिद्ध गुजराती नाश्ता है, अवश्य होते हैं। मीठे के शौकीन लोगों के लिए इस थाली में जलेबी और मोहनथाल जैसी मिठाई भी रखी जाती है। इन सभी व्यंजनों में से कुछ को तेल में भूनकर तैयार किया जाता है, जबकि कुछ को उबालकर या भाप देकर तैयार किया जाता है। अलग-अलग तरह के मसालों से बने यह व्यंजन गुजराती थाली को बेहद लजील बना देते हैं। गुजराती आहार का आधार दही और बेसन है। दरअसल, गुजराती थाली इस उद्देश्य से तैयार की जाती है कि देर तक और बैठकर काम करने वाले लोगों को हल्का, सुपाच्य लेकिन पोषकता से भरपूर भोजन मिल सके। इस थाली में मीठे पकवान जहां भूख बढ़ाने का काम करते हैं, वहीं खट्टे व्यंजन भोजन को पचाने में मदद करते हैं। पारंपरिक गुजराती थाली का मुख्य आकर्षण हमेशा ढोकला रहता है जो बेसन से बनता है और भाप में पकाया जाता है। खाने में बेहद हल्का लेकिन तृप्त कर देने वाला यह व्यंजन समस्त भारत में पसंद किया जाता है। पोरबन्दर जाने वाले सैलानियों को पारंपरिक गुजराती थाली का स्वाद एक बार तो जरूर चखना ही चाहिये। 

गुजराती थाली

गुजराती व्यंजन

गुजराती व्यंजन स्वाद में बेहद लाजवाब होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं। गुजराती खान-पान की सबसे खास बात यह है कि प्रत्येक व्यंजन बिलकुल अलग तरह के मसालों को मिलाकर अलग विधि से पकाया जाता है। ढोकला (भाप से बनने वाला नमकीन व्यंजन), दूध पाक (चावल की पुडिंग), उंदियो (मिली जुली सब्जियों का व्यंजन), श्रीखंड (पानी निथारी हुई दही से बना मीठा व्यजंन), सुतरफेनी (चावल के आटे से बनने वाली एक मिठाई), मोहनथाल (बेसन को भूनकर बनाई जाने वाली मिठाई) और काशा (एक प्रकार की खिचड़ी) कुछ ऐसे व्यंजन हैं, जो यहां बेहद लोकप्रिय हैं। एक चीज जो यहां के खान-पान को देश के अन्य हिस्सों के खान-पान से अलग करती है, वह है गुजराती व्यंजनों में मीठे का अत्याधिक प्रयोग। 

दरअसल, पुराने जमाने में गुजरात के व्यापारियों और मजदूरों को गर्मी और उमस भरे वातावरण में काम करना पड़ता था तथा बहुत लंबी-लंबी दूरियां पैदल ही चलकर तय करनी पड़ती थीं। इसलिए शरीर में शर्करा का स्तर बनाए रखने के लिए अधिकतर गुजराती व्यंजनों को मीठा कर दिया जाता था या फिर नमक और अन्य मसालों की तुलना में व्यंजनों में चीनी का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता था। गुजरात के खान-पान में यह चलन एक रिवायत के तौर पर आज भी जारी है। आमतौर पर समुद्र के किनारे बसे राज्य अपने सीफूड के लिए जाने जाते हैं। हालांकि यह राज्य समुद्र के किनारे बसा है, बावजूद इसके यहां का खान-पान और व्यंजन मुख्यतः शाकाहारी ही होते हैं। क्योंकि यहां जैन संस्कृति का बहुत गहरा प्रभाव है।  

गुजराती व्यंजन