सुबाथू एक अपारंपरिक पर्यटन पड़ाव है जो सोलन के बिलकुल समीप है। सुबाथू इस राज्य के सबसे सुंदर नगरों में से एक है। इस शहर का ब्रिटिश आकर्षण आज भी बरकरार है। इसमें कई ब्रिटिश वास्तुकला की इमारते हैं, जो वर्ष 1829 में उस समय निर्मित की गई थी; जब भारत के पूर्व गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक ने वाईसरिगल लॉज और 20 अन्य इमारतें बनवाई थी। अंग्रेजों ने सुबाथू को एक छावनी के रूप में स्थापित किया था। यह अपेक्षाकृत अज्ञात और अक्षत स्थल है। यह गोरखा राइफल्स का एक रेजिमेंट सेंटर है। सुबाथू में एक संग्रहालय है, जो उन स्मृति चिह्नों को प्रदर्शित करता है; जिन्हें युद्ध के बाद रेजिमेंटों द्वारा वापस लाया गया था। इनमें सबसे लोकप्रिय चीन का बॉक्सर विद्रोह है, जिसको सुबाथू गोरखा रेजिमेंट के सैनिकों ने वर्ष 1900 में पेकिंग जाकर दमन कर दिया था और जीत की निशानी के तौर पर चीन की महान दीवार से कुछ पत्थर लाए थे।सुबाथू भारत और तिब्बत के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था। यहां किन्नौरी और तिब्बती ऊन और पश्मीना की भारी मांग थी।यहां का एक अन्य आकर्षण छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा गोरखा किला है। कहा जाता है कि घने जंगलों से घिरे इस किले की तोपें 180 वर्ष पुरानी हैं! माना जाता है कि इस किले का निर्माण 1900 ई. में अंग्रेजों से लड़ने के लिए गोरखा सेना प्रमुख अमर सिंह थापा ने करवाया था। इस किले के अवशेष यहां एक ऐतिहासिक और रोचक पर्यटन की पृष्ठभूमि निर्मित करते हैं। यहां पर्यटकों को गोरखा सैनिकों की बहादुरी, पराक्रम और शौर्य की झलक मिलती है। आज यह किला भारतीय सेना के 14 गोरखा प्रशिक्षण केंद्र के नियंत्रण में है।

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