बर्फ से ढकी शिवालिक पहाड़ियों वाला कसौली हिमाचल प्रदेश का एक सुंदर पर्यटन स्थल हैै। इसे वर्ष 1842 में सेना की छावनी के रूप में स्थापित किया गया था। इसका पुराना जादू आज भी बरकरार है। सुरम्य वाटिकाओं और ब्रिटिश कालीन बंगलों, शांत चर्च, छोटी दुकानों, पत्थरों से बने टेढ़े-मेढ़े रास्तों, बलूत और देवदार के पेड़ों से घिरा कसौली वह स्थल है; जहां औपनिवेशिक कहानियां वास्तविकता में बदल जाती हैं। पर्यटक यहां इन ब्रिटिश कालीन बंगलों में रहकर इस समृद्ध विरासत का अनुभव कर सकते हैं। अब इन बंगलों को होटलों या ठहरने वाले घरों में बदल दिया गया है। यहां के हरे-भरे पहाड़ों में भांति-भांति के पशु-पक्षी पेड़-पौधे और वनस्पतियां पाई जाती हैं।लोक कथाओं के अनुसार कसौली का नाम कसूल नामक पहाड़ियों में पाए जाने वाले एक फूल से पड़ा है। यह चंडीगढ़ शहर से लगभग दो घंटे की ड्राइव पर है। यहां कई प्राचीन मंदिर हैं। किंवदंती है कि जब लक्ष्मण मूर्छित हुए थे तो उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए भगवान हनुमान हिमालय सजीवन बूटी लेने आए थे। हिमालय से सजीवन बूटी लेकर जब वह श्रीलंका लौट रहे थे तो कसौली में उनका पैर भूमि से स्पर्श किया। लक्ष्मण के मूर्छित होने का वृतांत रामायण महाकाव्य में विस्तार से दिया गया है।कसौली ब्रिटिश मूल के प्रसिद्ध भारतीय लेखक रस्क‍िन बॉन्ड की जन्मस्थली के रूप में भी लोकप्रिय है। यह काफी सर्द शहर है, जहां सर्दियों के दौरान तापमान 2 डिग्री तक गिर जाता है। लेकिन गर्मियों में यहां मौसम सुहावना रहता है।