हिमाचल प्रदेश में सबसे लोकप्रिय पुराने चर्चों में से एक क्राइस्ट चर्च है। इसका निर्माण उन ब्रिटिश परिवारों द्वारा किया गया था जो वर्ष 1853 में कसौली और उसके आसपास रहते थे। चर्च की वास्तुकला गोथिक और भारतीय शैलियों का मिश्रण है। यह ईंट और लकड़ी से निर्मित चर्च शहर के सदर बाज़ार के पास स्थित है और सेंट बर्नबास और सेंट फ्रांसिस को समर्पित है। कांच की सजावट से अलंकृत, चर्च की ग्रे इमारत का निर्माण एक क्रॉस के आकार में किया गया है। इसकी सुरम्य संरचना और सुंदरता के कारण सभी धर्मों के लोग इसे देखने आते हैं। इसकी वास्तुशिल्पीय नवीनता में क्रास के आकार का फर्श, रंगीन कांच की खिड़कियां, पवित्र चबूतरे की मूर्ति तक जाती पार्श्ववीथि और एक क्लॉक टॉवर है। गौरतलब है कि इस चर्च में लगे रंगीन कांच के ग्लास इंग्लैंड से मंगवाए गए थे। चर्च परिसर में ही एक कब्रिस्तान है जिसकी कब्रें वर्ष 1850 और उसके पहले की हैं। हालांकि, यह इस चर्च की सादगी ही है जो पर्यटकों को उस युग में भेज देती है जब यहां ब्रिटिश रहते थे। पवित्र चबूतरे के ऊपर जीसस क्राइस्ट की सूली पर चढ़ी तस्वीर है। इस चित्र में जीसस क्राइस्ट के दूसरी तरफ जोसफ और मेरी भी मौजूद हैं।

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