बाबा बालकनाथ मंदिर

बाबा बालकनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश के सबसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां वर्ष भर श्रद्घालुओं का तांता लगा रहता है। विशेष तौर पर नवरात्रि के समय यहां भारी भीड़ लगती है। यह मध्यकालीन मंदिर कसौली के बाह्य क्षेत्र में है। इस गुफानुमा मंदिर को पहाड़ी चट्टानों को काटकर बनाया गया है। इसे बाबा बालकनाथ का प्राकृतिक धाम माना जाता है। गुफा के अंदर एक विशाल देवता की मूर्ति पूजी जाती है। मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर शाह तलाई है, यह भी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। तीर्थयात्री रविवार को बाबाजी का शुभ दिन मानते हैं। बाबाजी को भगवान शिव का अनन्य भक्त कहा जाता है। इस स्थान में ऐसी मान्यता है जो निःसतान दम्पति इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं; उन्हें शीघ्र ही संतान की प्राप्ति होती है। मंदिर में प्रसाद के रूप में गेहूं के आटे और गुड़ से बनी पारंपरिक मीठी रोटी चढ़ाई जाती है।यह मंदिर घड़खल में धौलागिरी पर्वत पर जिला हमीरपुर के चकमोह गांव में स्थित है।

बाबा बालकनाथ मंदिर

कसौली बैपटिस्ट चर्च

शहर के सबसे व्यस्त स्थानों में से यहां स्थित मॉल है। यह स्थान पर्यटकों और खरीदारों से भरा रहता है। प्रसिद्ध कसौली क्लब इसी शहर में है। यह दो क्षेत्रों में विभाजित है: अपर और लोवर मॉल में। अपर मॉल विरासती इमारतों और सुंदर प्राकृतिक दृश्यों से घिरा है। अपर मॉल इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति को निहारने का सबसे उपयुक्त स्थल है। इस माल में 2.5 किमी लंबा सड़क मार्ग तय करके पर्यटक खरीदारी कर सकते हैं और यहां के सुंदर प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। लोअर मॉल में कई भोजनालय और दुकानें हैं, जहां से तिब्बती हस्तशिल्प की वस्तुएं और उत्पाद खरीदे जा सकते हैं। मॉल के एक तरफ क्राइस्ट चर्च और दूसरी ओर मंकी प्वाइंट है, जो नगर का सबसे चहल-पहल वाला स्थान है। विशेष तौर पर यहां सबसे ज्यादा भीड़ अप्रैल और जून और फिर सितंबर और जनवरी माह में होती है। माल रोड पर वाहनों का प्रवेश वर्जित है।

कसौली बैपटिस्ट चर्च

क्राइस्ट चर्च

हिमाचल प्रदेश में सबसे लोकप्रिय पुराने चर्चों में से एक क्राइस्ट चर्च है। इसका निर्माण उन ब्रिटिश परिवारों द्वारा किया गया था जो वर्ष 1853 में कसौली और उसके आसपास रहते थे। चर्च की वास्तुकला गोथिक और भारतीय शैलियों का मिश्रण है। यह ईंट और लकड़ी से निर्मित चर्च शहर के सदर बाज़ार के पास स्थित है और सेंट बर्नबास और सेंट फ्रांसिस को समर्पित है। कांच की सजावट से अलंकृत, चर्च की ग्रे इमारत का निर्माण एक क्रॉस के आकार में किया गया है। इसकी सुरम्य संरचना और सुंदरता के कारण सभी धर्मों के लोग इसे देखने आते हैं। इसकी वास्तुशिल्पीय नवीनता में क्रास के आकार का फर्श, रंगीन कांच की खिड़कियां, पवित्र चबूतरे की मूर्ति तक जाती पार्श्ववीथि और एक क्लॉक टॉवर है। गौरतलब है कि इस चर्च में लगे रंगीन कांच के ग्लास इंग्लैंड से मंगवाए गए थे। चर्च परिसर में ही एक कब्रिस्तान है जिसकी कब्रें वर्ष 1850 और उसके पहले की हैं। हालांकि, यह इस चर्च की सादगी ही है जो पर्यटकों को उस युग में भेज देती है जब यहां ब्रिटिश रहते थे। पवित्र चबूतरे के ऊपर जीसस क्राइस्ट की सूली पर चढ़ी तस्वीर है। इस चित्र में जीसस क्राइस्ट के दूसरी तरफ जोसफ और मेरी भी मौजूद हैं।

क्राइस्ट चर्च

मंकी प्वाइंट

इस शहर का सबसे ऊंचा स्थान, मंकी प्वाइंट है। यह 6,500 फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। पर्यटक यहां से शहर का सुंदर नजारा देख सकते हैं। धूप खिलने पर पूरा शहर यहां से देखा जा सकता है। भगवान हनुमान का यहां एक मंदिर है, जिसमें दूर-दराज क्षेत्रों से भक्त दर्शन करने आते हैं। किंवदंती है कि जब हनुमान लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए हिमालय से संजीवनी लेकर श्रीलंका लौट रहे थे तो उनका पैर कसौली पर्वत शिखर की चोटी में छू गया था। आश्चर्यजनक ढंग से कसौली पर्वत शिखर पैर के आकार में है।इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में बंदर हैं, जो पर्यटकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। चूंकि यह क्षेत्र भारतीय वायु सेना के अधिकार में आता है, इसलिए पर्यटकों को मंदिर परिसर के अंदर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ले जाने की अनुमति नहीं है।

मंकी प्वाइंट