जूनागढ़ से लगभग 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक दिलचस्प स्थान गोंडल में पर्यटकों के देखने के लिए बहुत कुछ है। खासतौर से 17वीं शताब्दी में बना नौलखा महल तो बेहद खूबसूरत है जो पत्थरों पर की गई नक्काशी, खंभों वाले प्रांगण, शानदार झरोखों, नक्काशीदार मेहराबों, घुमावदार सीढ़ियों, भव्य दरबार हॉल और अनोखे व खूबसूरत फर्नीचर के लिए जाना जाता है। इसके बिल्कुल पास गोंडाली नदी के किनारे भव्य रिवरसाइड महल भी है। खूबसूरत उद्यानों के मध्य में स्थित इस महल में बड़े-बड़े और भव्य रिहायशी कमरे हैं जिनमें औपनिवेशिक दौर के पुराने लकड़ी के फर्नीचर, ब्रिटिश शैली के झाड़ फानूस और सोफे हैं। यहां के भारतीय शैली के कमरे भी बहुत सुंदर और दर्शनीय हैं जिनमें पीतल से की गई सजावट, खूबसूरत चित्रकारी और मनकों की कारीगरी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसकी छत पर बैठने की खूबसूरत जगहें हैं जहां से पर्यटक पास बहती नदी और उद्यानों के सुंदर दृश्यों को मन भर कर देख सकते हैं। रिवरसाइड महल को शाही रियासत गोंडा के महाराज भगवत सिंहजी ने अपने बेटे युवराज भोजराजी के लिए सन 1875 में बनवाया था। इस महल के गौरवशाली दिनों की भव्यता को दर्शाता एक संग्रहालय भी यहां है जिसमें चांदी के पटरों पर प्रदर्शित किए गए उन तोहफों और संदेशों को देखा जा सकता है जो महाराज भगवत सिंहजी को मिला करते थे।

ऑर्चर्ड महल भी यहां का एक प्रमुख आकर्षण है जो कि मीठी खुशबू वाले विशाल फल-उद्यानों के बीच स्थित है। यह वर्तमान शाही महल ‘हुजूर निवास’ का ही एक हिस्सा है। पर्यटकों को यहां पर करामाती लघु-चित्रकारी, पीतल की अद्भुत कारीगरी, पुराने समय का शानदार फर्नीचर आदि देखने चाहिएं।यहां के दर्शनीय स्थलों की सूची में अगला नाम है विंटेज शाही गैराज का जिसमें 1935 मॉडल की दो दरवाजों वाली पैकर्ड कार, 1920 में बनी एक डेलेज, एक डेमलर, 1955 की लीमोजिन, 1941 और 1947 मॉडल की कैडिलेक और दूसरे विश्वयुद्ध के समय की गाड़ियों जैसी कई क्लासिक कारों का व्यापक संग्रह प्रदर्शित किया गया है। इनमें से कुछ कारों पर तो अभी भी मूल गोंडल राज्य की नंबर प्लेट्स लगी हुई हैं।यहां के अन्य आकर्षणों में भुवनेश्वरी आयुर्वेदिक केंद्र, भुवनेश्वरी घोड़ों का फॉर्म, स्वामीनारायण मंदिर और इंगलैंड के एक स्कूल की तर्ज पर बना संग्राम सिंहजी हाई स्कूल प्रमुख हैं।

अन्य आकर्षण