गिरनार पर्वत की तलहटी में स्थित भगवान शिव को समर्पित भवनाथ मंदिर को जूनागढ़ के पवित्रतम स्थलों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की उत्पति अज्ञात है लेकिन माना जाता है कि यह अनादि काल से यहां मौजूद है। इस मंदिर में हर साल जनवरी-फरवरी के दौरान माघ मास में आयोजित किया जाने वाला माघ मेला श्रद्धालुओं के बीच काफी लोकप्रिय है। अक्टूबर-नवंबर माह में पूर्णिमा के दिन इस मंदिर पर नया ध्वज फहराए जाने के उत्सव के साथ-साथ यहां एक परिक्रमा का आयोजन भी किया जाता है। यह परिक्रमा करीब 40 किलोमीटर की होती है और पांच दिन तक इसका आयोजन होता है। पूजा के आरंभ में एक साधु अपने हाथों में ध्वज लिए हाथी पर बैठ कर मंदिर की ओर आता है। इस अवसर पर पार्श्व में शंख, तुरई जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव स्वयं यहां उपस्थित होते हैं इसीलिए उनके स्वागत में यह उत्सव आयोजित किया जाता है। भक्तों के लिए मंदिर की तरफ से भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। इस उत्सव में कलाकारों द्वारा विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नृत्यों, लोक-गीतों आदि का प्रदर्शन भी किया जाता है।

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