मुचकुंद गुफा दामोदर मंदिर के बाईं ओर रेवती कुंड के पास स्थित है। कहा जाता है कि यहा पर मुचकुंद ऋषि समाधि निद्रा में लीन थे और उन्होंने यहीं पर भगवान कृष्ण के शत्रु काल यवन को जला कर भस्म किया था। यहां भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर और एक शिवलिंग भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे मुचकुंद ऋषि ने स्थापित किया था। कथा है कि भगवान कृष्ण अपने शत्रु काल यवन के हमले से भाग कर इस गुफा में आ पहुंचे जहां मुचकुंद समाधि निद्रा में लीन थे। भगवान कृष्ण ने अपना पीतांबर उन्हें ओढ़ा दिया और एक तरफ छुप गए। काल यवन ने कृष्ण समझ कर उनकी समाधि भंग कर दी जिससे कुपित होकर मुचकुंद ने उन्हें देखा और उनकी आंखों से निकली ज्वाला से काल यवन भस्म हो गया।

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